For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या जवाब दूँ तुम्हे मैं...ये जो सवाल है तुम्हारा...

हर रोज्र हारता हूँ...यहीं तो हाल है हमारा...

 

ये ख्वाब हीं बुरे हैं...

या फिर बुरा सा मैं हूँ...

सौ बार सोचता हुँ...

कुछ तो भला सा कह दूँ..

 

हर वक़्त एक सपना...

हाफीज्र सदा है मेरे...

कुछ पास है हमारे...

कुछ पास में है तेरे...

 

मै वक़्त का मुसाफिर...

अब वक़्त ढुँढता हूँ...

कुछ और खर्च करके...

शायद वो वक़्त पा लूँ...

 

ये दौर है गज़ब का...

आँधी सी आहटें हैं...

बेसुध से हम पडेँ हैं...

खामोश रास्ते हैं...

 

मौलिक व अप्रकाशित.

Views: 414

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2017 at 4:30am
ज़नाब आदित्य लोक जी सादर अभिवादन, अच्छी रचना पर बधाई निवेदित है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2017 at 2:00am

आदरणीय आदित्य लोक जी, आपकी प्रस्तुति का प्रवाह बहुत बढ़िया है. लय पर आपकी बहुत अच्छी पकड़ है. यही इस प्रस्तुति की विशेषता है. इस हेतु आपको हार्दिक बधाई.... किसी भी रचना में शब्द चयन, शिल्प अर्थात लय और भाव तीनों का समन्वय ही रचना को विशिष्ट बनाता है. आपने भाव पक्ष और लय को तो साध लिया है किन्तु शब्द चयन और उनके प्रयोग में व्याकरण सम्मत तार्किकता का अभाव प्रस्तुति को कमज़ोर कर रहा है. यह प्रस्तुति 'मैं' और 'तुम' के बीच के संबंधों की भावाभिव्यक्ति है. अतः उसी संबोधन के आधार पर पूरी कविता चलेगी.  अब आपकी प्रस्तुति को अगर ''जिंदगी से गुफ्तगू'' कहा जाए तो देखिये यह प्रस्तुति कैसी लगती है-

सौ सौ सवाल गर हैं तो क्या जवाब दूँ मैं 

अब रोज हारता हूँ, क्या-क्या हिसाब दूँ मैं 

ये ख्वाब ही बुरे हैं, या फिर बुरा सा मैं हूँ
सौ बार सोचता हूँ, कुछ तो भला सा कह दूँ

हर वक़्त एक सपना, दिल में बसा हुआ है 
कुछ पास लग रहा है, लेकिन छुपा हुआ है 

मै वक़्त का मुसाफिर, अब वक़्त ढूँढता हूँ
कुछ शाम खर्च कर मैं,शायद वो वक़्त पा लूँ

ये दौर है गज़ब का, आँधी सी आहटें हैं
बेसुध-सी है फिज़ा ये, खामोश रास्तें हैं

यारो कि जिंदगी से, करता हूँ रोज़ बातें

ऐसे ही दिन गुजरते, ऐसे ही कटती रातें 

Comment by Samar kabeer on January 17, 2017 at 10:00pm
जनाब आदित्य लोक जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।
पहली पंक्ति में 'मैं'और दूसरी पंक्ति में 'हमारा' ?कविता लिखने के बाद उसे पढ़ा भी करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 17, 2017 at 7:58pm
हाल...सवाल..मलाल..ख्याल पर बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय आदित्य लोक जी। पोस्ट करने से पहले टंकण त्रुटियों को सुधारने की कोशिश की जानी चाहिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
15 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service