= एक =
कोई इंसा "किसी" के लिए -
सिसकता है, मचलता है, तड़पता है......
रोता है, मुस्कुराता है....
गाता है, गुनगुनाता है....
और "अपने" लिए -
जीवन के अनंत दुखों का पर्याय बन जाता है ll
= दो =
मैं –
जीवन वलय की एक त्रिज्या मात्र –
तुम आकर मुझे व्यास बना दो .
ताकि मैं भी जीवन वलय की परिधि का
कर सकूं स्पर्श.
और एहसास कर सकूँ किसी पूर्णता का....
Comment
simply awasome..
तुम आकर मुझे व्यास बना दो
bahut hi sunder kalpna.
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