For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ ख़ुदरा शे'र.......कुछ क़ता'त....

तेरे लब छू के, कोई हर्फ़-ए-दुआ हो जाता.

तू अगर चाहता, तो मैं भी ख़ुदा हो जाता.

====

तन्हाइयों में गीत लिखे, और गा लिए.

नाकाम दिल के दर्द हँसी में छुपा लिए.

कल शब जो ज़िंदगी से हुआ सामना "साबिर"

क़िस्से सुने कुछ उसके, कुछ अपने सुना लिए.

====

हमने तो तुझे अपना ख़ुदा मान लिया है,

अब तेरी रज़ा है कि करम कर या मिटा दे.

====

दिल जला होगा, जो ख़त मेरा जलाया होगा,

मुझे पता है जो तासीर-ए-इश्क़ है "साबिर"

====

जो कह पाया, काफ़ी कम था, पर छूट गया कितना सारा.

मन जीत न पाया प्रिय तेरा- इस कोशिश में जीवन हारा.

====

वो कहते हैं वो हिन्दू हैं, ये कहते हैं मुस्लिम हैं ये.

मैं क्या करता मैं इंसाँ था, हर ज़ात ने बाहर मुझे किया.

====

तुमने जो मुस्कुरा दिया तो भरम टूट गये,

मैं समझता था तुम मेरे लिए संजीदा हो.

====

अन्धों की नगरी में "साबिर", हर एक हर्फ़ उजाला लिखना.

हर इंसाँ इक ईश्वर लिखना, हर दिल एक शिवाला लिखना.

====

ख़ून आँखों से छलक आया है.

ज़िंदगी ने बहुत रुलाया है.

ख़ुश हुए आप मूसीक़ी सुनकर,

हमने ग़ज़लों में दर्द गाया है.

 

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. नमन दत्त on May 27, 2011 at 11:14am

त्यागी जी,

आपने नाचीज़ की हौसलाअफ़ज़ाई की इसके लिए हम दिली तौर से आपके शुक्रगुज़ार हैं...ऐसी इनायत आगे भी बनी रहेगी ये उम्मीद करते हैं...

Comment by डॉ. नमन दत्त on May 27, 2011 at 11:11am
शुक्रिया धीरज जी....
Comment by Dheeraj on May 27, 2011 at 10:16am
ख़ून आँखों से छलक आया है.

ज़िंदगी ने बहुत रुलाया है.

ख़ुश हुए आप मूसीक़ी सुनकर,

हमने ग़ज़लों में दर्द गाया है.



........... बिना तारीफ किए रह नही पाया डॉ साहिब  यक़ीनन बहुत ही अच्छी दर्दभरी और उम्दा रचना है. विलंब ही मगर आभार स्वीकार करे
Comment by आचार्य संदीप कुमार त्यागी on May 27, 2011 at 8:39am

कशिश को बस कस कर कहना तो कोई आप से सीखें साबिर जी

तुमने जो मुस्कुरा दिया तो भरम टूट गये,

मैं समझता था तुम मेरे लिए संजीदा हो.

 

Comment by डॉ. नमन दत्त on May 26, 2011 at 1:06pm
धन्यवाद गणेश जी...आभार हौसलाअफ़ज़ाई के लिए....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 26, 2011 at 9:57am

डॉ साहिब, सभी कतात काफी उम्द्दा है , दिल जला होगा जो ख़त जलाया होगा ...............मैं इंसां था हर जात ने बाहर किया.......और अंधों की नगरी वाले शे'र काफी भावपूर्ण और गहरे अर्थ को समेटे हुए है | दाद कुबूल कीजिये | 

उम्मीद है आपकी और भी कृतियाँ और अन्य साथियों की कृतियों पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणियाँ पढने को मिलती रहेंगी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service