For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अक्षदण्ड या दोस्त (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

होटल में बेहतरीन पार्टी सम्पन्न होने के बाद आयोजक नवांकुर रचनाकार ने पार्टी देने का राज़ खोलते हुए अपने मित्रों से कहा- "आज सालगिरह है मेरे लघुकथा विधा से परिचित होने की और मेरी पहली लघुकथा इन्टरनेट पर प्रकाशित होने की!"

"पार्टी तो बढ़िया रही मित्र! लेकिन मुझे तुम्हारी लघुकथायें तो हमेशा अधूरी कथायें ही लगीं! कुछ और लिखा करो यार!" एक साथी ने कटाक्ष करते हुए कहा।

"अधूरी नहीं मित्र, धुरी कथायें! लघुकथा का कथ्य धुरी का काम करता है; ज्वलंत सार्थक चिन्तन-मनन के लिए, समझे दोस्त!" -रचनाकार ने संक्षेप में समझाने की कोशिश की।

"क्या मतलब?" - दूसरा साथी बोला।

"मतलब यह कि लघुकथा एक ऐसी पंचपंक्ति से संदेश छोड़ती है, जो पाठकों के सोच-विचार के लिए अक्षदण्ड का काम करती है, तत्काल या तत्काल से दीर्घकाल तक, कभी-कभी तो कालजयी कृति बना देती है रचना को!" नवांकुर रचनाकार ने अपना अब तक का ज्ञान बांटते हुए कहा- "पढ़ कर तो देखो कुछ दिग्गजों की लिखी लघुकथायें!"

"तू ही पढ़ ले, और भिड़ा रह इन्टरनेट पर!" मिले-जुले स्वर में साथियों ने व्यंग्य किया।

"व्यंग्य मत करो यार, इन्टरनेट भी हम नये रचनाकारों के लिए अक्षदण्ड ही है, वरना आज के व्यस्ततम जीवन में नये लिखने वालों को घर बैठे दोस्त माफ़िक गुरूजन कहाँ नसीब!" रचनाकार ने अपने सीने पर हाथ रखकर कहा।

[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 618

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 18, 2016 at 3:58pm
रचना पटल पर उपस्थित हो कर अपनी राय से अवगत कराने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब गिरिराज भंडारी साहब, आदरणीय आशीष कुमार त्रिवेदी जी, आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी व आदरणीया राहिला जी।
Comment by Rahila on August 12, 2016 at 10:00pm
बहुत बढ़िया रचना आदरणीय उस्मानी जी।बहुत बधाई ।सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 12, 2016 at 5:36pm

आदरणीय उस्मानी जी ..इस सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by विनय कुमार on August 11, 2016 at 8:24pm

ये तो हम पर निर्भर है कि फायदा उठायें या नहीं, ज्ञान तो हर जगह मौजूद है| बढ़िया रचना, बधाई 

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on August 11, 2016 at 8:06pm
जी सही कहा.
हम जैसे नये रचनाकारों को आप का साथ इंटरनेट ने ही दिया है.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2016 at 12:18pm

आदरणीय शहज़ाद भाई , ऐसा लगा जैसे सब हुछ ओ बे ओ के लिये कहा हो पात्र ने ! सार्थक लघुकथा के लिये आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 10, 2016 at 11:53pm
"सृजन के मेरूदण्ड"- बहुत ख़ूब। उक्त रचना के भाव और अधिक व बेहतर स्पष्ट करते हुए रचना का अनुमोदन करने व प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील सरना जी।
Comment by Sushil Sarna on August 10, 2016 at 4:03pm

वाह आदरणीय उस्मानी साहिब बहुत ही सुंदर विषय को आपने चुना है। हर नज़र का अपना अपना नज़रिया है कोई इन्टरनेट को समय बर्बाद करने का साधन समझता है तो कोई अपने सृजन का नया आधार समझता है। ये वो राह है जहां हर शख़्स में ढूंढने वाले को गुरु तत्व जरूर मिलेगा जो उसके सृजन का मेरुदंड बनता है । इस सार्थक लघुकथा की प्रस्तुति  के लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में पर आ जाता है।दिल…See More
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
20 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
21 hours ago
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
21 hours ago
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
21 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
21 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
21 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय  गिरिराज भाई जी आपकी ग़ज़ल का ये शेर मुझे खास पसंद आया बधाई  तुम रहे कुछ ठीक, कुछ…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service