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ग़ज़ल -- दुनिया का ढब दुनिया जैसा होता है। -- दिनेश कुमार

22--22--22--22-22--2


दुनिया का ढब दुनिया जैसा होता है
जो भी होता है वो अच्छा होता है

शाम ढले जब चिड़िया अपने घर लौटे
चोंच में उसके यारों दाना होता है

बाद में तो समझौते होते हैं दिल के
प्यार तो केवल पहला पहला होता है

अपने दम पर अब तक़दीर सँवारो तुम
मेहनतकश हाथों में सोना होता है

सोच रहा है आँगन का बूढ़ा बरगद
घर का आखिर क्यों बँटवारा होता है

चूड़ी कंगन पायल सब बेमानी हैं
लज्जा ही औरत का गहना होता है

रिश्वत ली थी, रिश्वत देकर छूट गया
हर ताले की चाबी पैसा होता है

खुशियाँ चाहोंगे तो ग़म भी आयेंगे
फूलों पर काँटों का पहरा होता है

मैंने जिसको आईना दिखलाया था
वो मुझ पर क्यों आग बबूला होता है

ये दुनिया है एक मुसाफ़िर ख़ाने सी
जो आता है उसको जाना होता है


मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by दिनेश कुमार on April 14, 2016 at 6:45am
मुझ नाचीज़ की हौसला अफ़ज़ाई के लिए आप सब सम्मानित साथियों का दिल की गहराइयों से असीम धन्यवाद्.।
प्रतिक्रिया देने में विलंब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 11, 2016 at 9:55am

आदरणीय भाई दिनेश जी..शास्वत मूल्यों की चर्चा करती इस उम्दा ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:17am

बाद में तो समझौते होते हैं दिल के
प्यार तो केवल पहला पहला होता है

आ० भाई धर्मेन्द्र जी इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 5:50pm
सुन्दर ग़ज़ल बधाई भाई
Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2016 at 1:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय दिनेश कुमार जी!बेहतरीन गज़ल!

Comment by narendrasinh chauhan on March 9, 2016 at 1:07pm

सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Harash Mahajan on March 9, 2016 at 12:20pm

आ० भाई धर्मेन्द्र जी वाह अति सुंदर
"चिड़िया जब भी शाम को वापिस घर आती
बच्चों ख़ातिर चोंच में दाना होता है"

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई !!


Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2016 at 12:03pm

आ० भाई धर्मेन्द्र जी इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 9, 2016 at 10:55am

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय दिनेश दी दाद कुबूल करें।

Comment by Samar kabeer on March 9, 2016 at 10:21am
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।

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