For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिट्टू वाली नाव- (लघु कथा)

'बिट्टू वाली नाव'- (लघु कथा)

तीनों में से सिर्फ बिट्टू की नाव ही तैर पायी।दोनों बहनें फिर पीछे रह गयीं थीं। रह रह कर पल्लवी को नदी में अपनी और छोटी बहन की डूबती नावों का दृश्य याद आ रहा था।
बेचैन हो कर वह अपनी माँ से पूछ ही बैठी-"हमारी ज़िद पर इतने दिनों के बाद दादाजी ने हमारे लिए नावें बनायीं थीं। ऐसा क्यों मम्मी कि केवल बिट्टू की ही नाव सही तरीके से बनी और वह अच्छे से तैरती रही ?"
शिल्पा बेचारी बच्चों से क्या कह पाती, लेकिन भावुक होकर दोनों बेटियों के सिर पर हाथ फेरते समय उसके मुँह से धीरे से यह निकल ही गया -"इकलौता पोता है न वह !"

मौलिक व अप्रकाशित
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Views: 813

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 29, 2017 at 7:30am
मेरी इस लघुकथा पर समय देकर हौसला अफजाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय पाठकगण व सुधीजन।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 11:38pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया Rajesh Kumari जी इस रचना पर समय देते हुए प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 22, 2015 at 8:15pm

एक  ऐसा प्रश्न जो सीधा समाज से है बालिकाओं की नाव क्यूँ नहीं तैरती ...वाह  नाव का बेहतरीन बिम्ब लेकर लघु कथा बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह छोड़ती है जिसका उत्तर हम सब के ही पास है |बहुत- बहुत बधाई इस सार्थक लघु कथा के लिए आ० शेख़ शाहजाद उस्मानी जी|  

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 1:39pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Om Prakash Kshatri जी अवलोकन करने व प्रोत्साहन देने के लिए।
Comment by Omprakash Kshatriya on September 22, 2015 at 9:10am
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 1:58am
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद Tej Veer Singh जी, आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी सभी को बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 21, 2015 at 8:40pm

पञ्च लाइन  ने कथा  को हाथों पर उठा लिया ,  वाह

Comment by TEJ VEER SINGH on September 21, 2015 at 11:45am

हार्दिक बधाई शेख उस्मानी   जी !बेहद खूबसूरत लघुकथा!बहुत गम्भीर मसला उठाया है आपने इस लघुकथा के जरिये!लडकियों के प्रति समाजिक उपेक्षा का सजीव चित्रण !

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2015 at 10:05pm

इस लघुकथा के लिए दाद कुबूल करें शहज़ाद साहब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 20, 2015 at 8:36pm

इस विषय पर बहुत लघुकथाएं लिखी गई है लेकिन आपने जिस सधे ढंग से इस मर्म को अभिव्यक्त किया है, उसने इस लघुकथा को एक नई उंचाई दी है. निसंदेह यह एक सफल और पाठक को गहरे तक प्रभावित करने वाली लघुकथा है. इस शानदार प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service