For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

लहकी कलियाँ डाल पर ,आँगन छिटकी धूप

चौपाले रौशन हुईं ,बाल बृंद सुर भूप ॥

 

सगुन  चिरैया भोर में, देती शुभ संदेश

पीहर आवे लाडली ,भावे नहीं विदेश ॥

 

रंग  फिज़ाओं में घुला , घर आँगन रंगीन

पुलकित मन सबके हुए ,सभी प्रेम में लीन ॥

 

चम्पा बेला डालिया ,खूब लुटाते गंध

पवन झकोरा ले उड़ा,भीनी मधुर सुगंध ॥    

 

पात हीन थीं डालियाँ,ठंडा यमुना नीर

फागुन मनलहका गया,मिटी सभी की पीर॥

 

पारिजात महके गली ,पुलकित हुई बयार   

स्वप्नीले लगते दिवस ,बहे प्रेम रस धार ॥ 

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on February 26, 2015 at 11:18am

अप सभी माननीय जनों का हार्दिक आभार/सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 11:46pm

आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई जी,बहुत ही सुन्दर रचना है , बहुत- बहुत बधाई आपको ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 25, 2015 at 9:22pm

आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहावली की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 25, 2015 at 8:01pm

वाह कल्पना जी बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं ............ बधाई स्वीकारें

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 7:11pm

आदरणीया कल्पना जी फाल्गुनी दोहों की सुंदर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। आदरणीय गोपाल जी द्वारा दिया सुझाव इस प्रस्तुति को ओर भी सुंदर बना देगा ऐसा मेरा विचार है , शेष रचनाकार पर निर्भर है। पुनः आपको हार्दिक बधाई। 

Comment by maharshi tripathi on February 25, 2015 at 5:48pm

आ. कल्पना जी,,,दोहों की  द्वितीय  प्रस्तुति भी कभी अच्छी लगी ,,,,,आपको बधाई | 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 4:21pm

आ० कल्पना जी

इस बार आपने काफी संयम से दोहे रचे i सुन्दर दोहे रचे i  फिर भी निम्न संशोधन उचित होगा -

पुलकित मन सबके हुए ,दिखें प्रेम में लीन ॥-----------------पुलकित मन सबके हुए ,सभी  प्रेम में लीन ॥

स्वपनीले लगते दिवस ,बहे प्रेम रस धार ॥ ----------------      -स्वप्नीले  लगते दिवस ,बहे प्रेम रस धार ॥ ---- सादर i

 

 

Comment by Pari M Shlok on February 25, 2015 at 2:39pm
बहुत सुन्दर दोहे ...बधाई
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 25, 2015 at 1:21pm

बहुत सुन्दर..फाल्गुन का रंग चढ़ने लगा है..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service