ग़ज़ल
2122 2122 2122 212
याद करे दुनिया तुझे ऐसी निशानी छोड़ जा,
जोश भर दे जो सभी में वो जवानी छोड़ जा।
नाम पर तेरे कभी कोई उदासी हो नहीं,
प्यार से भरपूर कुछ यादें सुहानी छोड़ जा।
देश की खातिर लुटाओ जान अपनी शान से,
हर किसी की आँख में दो बूँद पानी छोड़ जा।
हो भरोसा हर किसी को तेरी बातों पर सदा,
देश हित की प्रेरणा दे वो बयानी छोड़ जा।
मौत आतीे है सभी को देख ‘‘मेठानी’’ यहां,
गर्व हो अपनाें को कुछ ऐसी कहानी छोड़ जा।
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
- दयाराम मेठानी
Comment
आदरणीय में मैथानी जी ..इस सुंदर ग़ज़ल के लिये तहे दिल बधाई सादर
बहुत बहुत धन्यवाद गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, डा. गोपालनारायण श्रीवास्तव जी, एवं लक्ष्मण धामी जी।
वाह सर बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई
आदरणीय
अच्छी गजल हुयी है i
आ० भाई दयाराम जी , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई
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