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ग़ज़ल
2122  2122  2122  212
याद करे दुनिया तुझे ऐसी निशानी छोड़ जा,
जोश भर दे जो सभी में वो जवानी छोड़ जा।

नाम पर तेरे कभी कोई उदासी हो नहीं,
प्यार से भरपूर कुछ यादें सुहानी छोड़ जा।

देश की खातिर लुटाओ जान अपनी शान से,
हर किसी की आँख में दो बूँद पानी छोड़ जा।

हो भरोसा हर किसी को तेरी बातों पर सदा,
देश हित की प्रेरणा दे वो बयानी छोड़ जा।

मौत आतीे है सभी को देख ‘‘मेठानी’’ यहां,
गर्व हो अपनाें को कुछ ऐसी कहानी छोड़ जा।

( मौलिक एवं अप्रकाशित )
- दयाराम मेठानी

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 15, 2015 at 4:25pm

आदरणीय में मैथानी जी ..इस सुंदर ग़ज़ल के लिये तहे दिल बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 15, 2015 at 3:55pm
आदरणीय दयाराम मैठानी सर बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है बड़े उम्दा अशआर है। इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। यदि आपको उचित लगे तो निवेदन किया है-
नाम पर तेरे कभी कोई उदासी हो नहीं -इस मिसरे को देख लीजियेगा
जोश भर दे- दो मिसरों में आया है देख लीजियेगा
Comment by Dayaram Methani on January 15, 2015 at 1:32pm

बहुत बहुत धन्यवाद गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, डा. गोपालनारायण श्रीवास्तव जी, एवं लक्ष्मण धामी जी।

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 15, 2015 at 12:56pm

वाह सर बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 15, 2015 at 12:43pm

आदरणीय

अच्छी गजल हुयी है i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 15, 2015 at 11:46am

आ० भाई दयाराम  जी , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई

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