For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"नूर" की ग़ज़ल -देख तेरा जो हाल है प्यारे

२१२२ १२१२ २२/११ २  
.
देख तेरा जो हाल है प्यारे
ज़िन्दगी का सवाल है प्यारे.
.

लोग मुर्दा पड़े हैं बस्ती में,
बस तुझी में उबाल है प्यारे.
.

आम कहता है ख़ुद को जो इंसाँ,
उसकी रंगत तो लाल है प्यारे.
.

उसकी थाली में मुझ से ज़्यादा घी,
बस यही इक मलाल है प्यारे. 
.

हम ने अपना लहू भी वार दिया,
सबको लगता गुलाल है प्यारे.   
.

ख़ाक ही ख़ाक बस उड़ेगी अब,
ये हवाओं की चाल है प्यारे. 
.

अब तो उम्मीद भी है नाउम्मीद, 
क्या ही अच्छा ये साल है प्यारे.
.

कैसे करवाए वो रफ़ू पैबंद,
पैरहन जिसका, ख़ाल है प्यारे.
.

हो गए रोंगटे खड़े तेरे,
ये ग़ज़ल का कमाल है प्यारे.
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 7, 2014 at 2:08pm

सभी अशआर सुन्दर हुए हैं आ० नीलेश जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2014 at 9:46am

वाह! बहुत बढ़िया गजल कही है आपने. वर्तमान में बिलकुल फिट बैठते शेर हुए

उसकी थाली में मुझ से ज़्यादा घी,
बस यही इक मलाल है प्यारे.............बहुत खूब, आजकल यही सोच सबसे बड़े दुःख का कारण है , दिली बधाई आपको आदरणीय निलेश जी.
.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 6, 2014 at 8:17pm

शुक्रिया शिज्जू जी ...
मै ग़ज़ल कहूँ इतनी कहाँ सलाहियत मुझमे ..
गजल ही कभी कभी मुझे कह लेती है :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 6, 2014 at 7:38pm

//लोग मुर्दा पड़े हैं बस्ती में,
बस तुझी में उबाल है प्यारे//.आदरणीय निलेश भाई ये शेर आप पर खूब लागू होता है :-)

बहुत खूब निलेश भाई बेहतरीन गज़ल है लाजवाब बहुत बहुत बधाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 6, 2014 at 12:38pm

शुक्रिया डॉ गोपाल नारायण जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 6, 2014 at 12:38pm

शुक्रिया नरेंद्र सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 6, 2014 at 12:37pm

शुक्रिया सुशिल जी 

Comment by Sushil Sarna on June 6, 2014 at 12:23pm

कैसे करवाए वो रफ़ू पैबंद,
पैरहन जिसका, ख़ाल है प्यारे.…… वाआआआआआआअह बहुत सुंदर अशआर है ....... हार्दिक बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2014 at 11:41am

उसकी थाली में मुझसे ज्यादा घी -- और कमाल का मक्ता i मुबारक हो i

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 6, 2014 at 11:03am

शुक्रिया आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
19 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service