For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितने ही लोगों से हमने हाथ मिलाये

२१२२    २१२२     २११२२

 

कितने ही लोगों से हमने हाथ मिलाये

गम में डूबे जब भी कोई काम न आये

 

दिल तन्हा ये रो के अपनी बात बताये  

कैसे उल्फत हाय तन में आग लगाये

 

तोहफे में दे सका जो गुल भी न हमको

आज वही फूलों से मेरी लाश सजाये

 

जिनके दिल में गैरों की तस्वीर लगी है

करके गलबहिया वो सर सीने में छुपाये

 

दिल की बातें दिल ही जब समझे न यहाँ पर

क्यूँ  तन्हा फिर भीड़ में दिल खुद को न पाये

 

वो भी मिलता हमसे अंजानो कि तरह ही

जिसने बालू पर थे घर भी साथ बनाये

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 24, 2014 at 12:15pm

आदरणीय सौरभ सर..आपके स्नेहिल शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद ...आपकी प्रतिक्रियाए कभी उर्जा से लबरेज करती हैं उत्साहित करती है ..तो कभी आत्म चिंतन के लिए बिबश करती हैं ..अतिउत्साह और जल्द्वाजी से बचने का सन्देश देती हैं..इसलिए मुझे क्या सबको ही आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहता है ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 11:31pm

रवायती ग़ज़लों का एक अपना अंदाज़ होता है. इस अंदाज़ के लिए बधाई आदरणीय..

दाद कुबूल कीजिये

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 2:21pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..आदरणीय शिज्जू जी ..ग़ज़ल के एक दो जानकार लोगों से बात की थी ..मैं भी इस प्रयोग को लेकर शंकित हूँ ..निश्चित ही इस प्रश्न का उत्तर बिद्वत जानो से ही मिलेगा ..मार्गदर्षन के लिए तहे दिल धन्यवाद के साथ .सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:38am

वो भी मिलता हमसे अंजानो कि तरह ही

जिसने बालू पर थे घर भी साथ बनाये

सुन्दर , अति सुन्दर......................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:37pm

आदरणीय डॉ आशुतोष सर बह्र तो अच्छा निभाया है आपने, लेकिन आखिरी रुक्न के लिये मैं भी शंकित हूँ। 

Comment by coontee mukerji on May 20, 2014 at 8:28pm

 

तोहफे में दे सका जो गुल भी न हमको

आज वही फूलों से मेरी लाश सजाये.....क्या बात है. दुनियादारी का यह कैसा तोहफ़.....शायद....

वो भी मिलता हमसे अंजानो कि तरह ही

जिसने बालू पर थे घर भी साथ बनाये.......आपके सुंदर गज़लों उसका जवाब भी छिपा हुआ है.....आपको बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 20, 2014 at 6:39pm

आदरणीय आशुतोष भाई , अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ , आखिरी रुक्न के विषय मे शंका है भाई जी , बाक़ी सही ग़लत जानकार बतायेंगे ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 20, 2014 at 5:39pm

जिसने तोहफे में गुल न दिया वही फूलो से लाश सजाये

इस अनेकार्थी अभ्व्यक्ति के लिए  डाक्टर  साहेब को बधाई

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 20, 2014 at 4:22pm

खुबसूरत गजल कही बधाई  आशुतोष जी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by vijay nikore on May 20, 2014 at 11:38am

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
20 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service