पंख कटे पंछी हुए ,सीमित हुयी उड़ान
सर पे अम्बर था जहाँ, छत है गगन समान
सारी दुनिया सिमट कर कमरे में है कैद
घर के बाहर है पुलिस, खड़ी हुई मुश्तैद
जिनकी शादी ना हुयी , उनकी मानो खैर
और हुयी जिनकी न लें, घर वाली से बैर
घर के कामो में लगें, हर विपदा लें टाल
साँप छुछूंदर गति न हो, करफ्यू या भूचाल
भागवान से लड़ नहीं, बात ये मेरी मान
भागवान के केस में, चुप रहते भगवान
प्रथम दिवस आखिर कटा, साँसों में थे…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 26, 2020 at 7:54pm — 2 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2020 at 1:43am — 3 Comments
नन्ही सी चीटी हाथी की ले सकती जान है
कोरोना ने कराया हमें इसका भान है।
हाथों को जोड़ कहता सफाई की बात वो
पर तुमको गंदगी में दिखी अपनी शान है।
बातें अगर गलत हों तो वाजिव विरोध है
सच का भी जो विरोध करे बदजुबान है।
नक़्शे कदम पे तेरे क्यूँ सारा जहाँ चले
बातों में बस तुम्हारी ही क्या गीता ज्ञान है
कोरोना की ही शक्ल में नफरत है चीन की
जिसके लिए जमीन ही सारी जहान है
मालिक के दर पे सज्दा वजू करके ही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 19, 2020 at 12:30pm — 4 Comments
जब तक भरे थे जाम तो महफ़िल सजी रही
फूलों में रस था भँवरों की चाहत बनी रही
वो सूखा फूल फेंकते तो कैसे फेंकते
उसमे किसी की याद की खुशबू बसी रही
उस कोयले की खान में कपड़ें न बच सके
बस था सुकून इतना ही इज्जत बची रही
कुर्सी पे बैठ अम्न की करता था बात जो
उसकी हथेली खून से यारों सनी रही
दौलत बटोर जितनी भी लेकिन ये याद रख
ये बेबफा न साथ किसी के कभी रही
'आशू' फ़कीर बन तू फकीरीं में है मजा
सब छूटा कुछ बचा…
Added by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2020 at 12:00pm — 7 Comments
नजर अपनी उठा लो तो गिले शिकवे भुला लूँ मैं
मुझे बस एक पल दे दो है क्या दिल में बता लूँ मैं
निगाहें तो मिला लेता मगर ये खौफ है दिल में
कही ऐसा न हो दिल का चमन खुद ही जला लूँ मैं
कभी तो मेरी गलियों से मेरा वो यार गुजरेगा
मेरा भी फ़र्ज़ बनता है गुलों से रह सजा लूँ मैं
तुम्हारे पग जहाँ पड़ते वहीं पर फूल खिल जाते
है हसरत दिल के सहारा में हसीं गुल इक ऊगा लूँ मैं
अगर ओंठों से निकली शै तो हंगामा…
Added by Dr Ashutosh Mishra on February 9, 2019 at 11:20am — 1 Comment
रिश्तों में दूरी
जब से मैंने अपने दोस्त को
सूरज के बड़े होकर भी छोटे लगने में
धरती से उसकी दूरी की भूमिका समझाई है
बड़ा दिखने के लिए कद बढाने की जगह
दोस्त मुझसे लगातार दूरियां बढ़ा रहा है
ताकि मैं मान लूं वो बृहत् आकार पा रहा है
पर दूरी के कारन छोटा नजर आ रहा है
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Dr Ashutosh Mishra on September 29, 2018 at 10:55am — 6 Comments
सौदागर
” प्रोफेसर सैन और प्रोफेसर देशपांडे सरकारी मुलाजिम हैं, तनख्वाह भी एकै जैसी मिलत है लेकिन ई दुइनो जब से निरीक्षक भइ गए हैं तब से प्रोफेसर सैन तो बड़ी बड़ी लग्जरी गाड़ियों में दौरा करत है और बड़े आलीशान होटलों में बसेरा करत हैं लेकिन ..लेकिन बेचारे देशपांडे कभी धर्मशाला में ठहरत हैं तो कभी सरकारी गेस्ट हाउसन में ...कभी ऑटो से चलत हैं तो कभी बस में ....जब सब सुख सुबिधा बरोबर है तब ई फरक काहे है ई बात तनिक हमरी समझ में नाहीं आवत है “ राहुल ने अपने मित्र सुजीत से बडी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 19, 2018 at 1:54pm — 9 Comments
मेरी आँखों में कभी अक्स ये अपना देखो
इस बहाने ही सही प्यार का सहरा देखो
बेखबर गुल के लवों को छुआ ज्यों भँवरे ने
ले के अंगड़ाई कहा गुल ने ये पहरा देखो
वो नजाकत से मिले फिर उतर गये दिल में
अब कहे दिल की सदा हुस्न का जलवा देखो
मौला पंडित की लकीरों पे यहाँ सब चलते
तुम लकीरों से हटे हो तो ये फतवा देखो
वो भिखारी का भेष धरके बनेगा मालिक
अब सियासत में यूं ही रोज तमाशा देखो
साइकिल हाथ के हाथी के हैं जलवे देखे
अब कमल खिलने…
Added by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2018 at 5:30pm — No Comments
11212 11212 11212 11212
यहाँ जिंदा की है खबर नहीं यहाँ फोटो पे ही वबाल है
जो टंगी कहीं थी जमाने से खड़ा अब उसी पे सवाल है
कई जानवर रहे घूमते बिना फिक्र के बिना खौफ के
हुए क़त्ल जब कोई समझा था बड़े काम वाली ये खाल है
कई हुक्मरान हुए यहाँ सभी आँखे बंद किये रहे
कोई खोल बैठा जो आँख है सभी कह उठे ये तो चाल है
ये सियासतों का समुद्र है यहाँ मछलियों सी हैं कुर्सियां
सभी हुक्मरान सधी नजर सभी ने बिछाया जाल…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 4, 2018 at 6:00pm — 10 Comments
२१२ २१२ २१२ २१२
हम तो बस आपकी राह चलते रहे
ये ख़बर ही न थी आप छलते रहे
बादलों से निकल चाँद ने ये कहा
भीड़ में तारों की हम तो जलते रहे
हिम पिघलती हिमालय पे ज्यों धूप में
यूँ हसीं प्यार पाकर पिघलते रहे
चांदनी भाती , आशिक हूँ मैं चाँद का
सच कहूं तो दिए मुझको खलते रहे
जुल्फ की छांव में उनके जानो पे सर
याद करके वो मंजर मचलते रहे
एक दूजे को हम ऐसे देखा किये
अश्क आँखों से…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 2, 2018 at 2:30pm — 14 Comments
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“सर, दरवाजा खोलिए” प्रोफेसर राघव की शोध छात्रा नूर ने दरवाजे पर दस्तक देते हुए आवाज दी
“अरे! नूर तुम, दोपहर में अचानक, कैसे?” दरवाजा खोलते हुए प्रोफेसर राघव ने आने की वजह जाननी चाही
“ हाँ सर, एक रिसर्च पेपर में करेक्शन के लिए आई थी”
“ पर अभी तो मैडम घर पर नहीं हैं,और बाज़ार से कब तक लौटें इसका भी अंदाज नहीं है,आखिर तुम कब तक इस धूप में बाहर इंतज़ार करोगी” प्रोफेसर राघव् ने त्वरित जवाब दिया
“ बाहर क्यों सर ?” नूर ने कौतूहल से…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2017 at 2:30pm — 11 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on November 13, 2017 at 11:41am — 13 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 11:21am — 11 Comments
अजब सी है जलन दिल में ये कैसी है मुझे तड़पन
उसे अहसास तो होगा बढ़ेगी दिल की जब धड़कन'
दिखा है जबसे उसकी आँखों में वीरान इक सहरा
मुझे क्या हो गया जाने कहीं लगता नहीं है मन
गले को घेर बाँहों से बदन करती कमाँ जब वो'
मुझे भी दर्द सा रहता मेरा भी टूटता है तन
वो रो लेती पिघल जाता हिमालय जैसा उसका गम
मगर सूरज के जैसे जलता रहता है मेरा तन मन
'नज़र मिलते ही मुझसे वो झुका लेते हैं यूँ गर्दन
ये मंज़र देख उठती है लहर…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2017 at 4:30pm — 14 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
घरोंदों को जलाया है किसी ने दोस्ती करके
चिरागों को बुझाया है किसी ने दोस्ती करके
सुकूं था जिसके जीवन में जिसे आती थी मीठी नींद
उसे शब् भर जगाया है किसी ने दोस्ती करके
जो दुश्मन था जमाने से जो प्यासा था लहू का ही
उसी को अब बचाया है किसी ने दोस्ती करके
अँधेरे में मेरा साया हुआ कुछ इस तरह से गुम
ज्यूँ रिश्ता हर भुलाया है किसी ने दोस्ती करके
फकीरों की तरह जीता, था खुश तन्हाई…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 8, 2017 at 5:27pm — 5 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on September 5, 2017 at 11:47am — 2 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 22, 2017 at 5:51pm — 10 Comments
दो कवितायें
दोस्त
जब मेरे पास दोस्त थे
तब दोस्तों के पास कद हद पद नहीं थे
और जब दोस्तों के पास पद हद कद थे
मेरे पास दोस्त नहीं
धन
जब मेरे पास धन नहीं था
तब समझते थे सब मुझे बदहाल
पर मैं खुश था , बहुत खुश था
और जब मेरे पास है अकूत सम्पति
दुनिया मुझे खुशहाल समझती है
और मैं तडपता हूँ बिस्तर पर
नींद के सुकून से भरे एक झोंके के…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 18, 2017 at 3:10pm — 10 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on March 4, 2017 at 11:33am — 9 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on February 28, 2017 at 11:40am — 12 Comments
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