अब्रे गम जब दिल पे मेरे छा गया
अश्क का दरिया भी रुख पे आ गया
आइना देखा है जब भी दोस्तों
सामने मेरे मेरा सच आ गया
यूं तो गुल लाखों थे बगिया में मगर
दिल को लेकिन कोई कांटा भा गया
वो हसीं गुल आने वाला है इधर
चूम झोंका खुशबू का बतला गया
हाल उनसे कहते दिल का जब तलक
यार नजरों से ही सब जतला गया
जिसने भर दी खार से ये जिन्दगी
फूल नकली दे के फिर बहला गया
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हाल उनसे कहते दिल का जब तलक
यार नजरों से ही सब जतला गया.... वाह बेहद उम्दा .. बहुत -२ बधाई आपको सादर ..
वाह वाह आदरणीय आशुतोष सर बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है अंतिम शेर हेतु विशेष दाद कुबूल फरमाएं.
आशुतोष जी
इस अर्थपूर्ण ग़ज़ल के लिए आपको बधाई हो i
जिसने भर दी खार से ये जिन्दगी
फूल नकली दे के फिर बहला गया
वाह क्या कहने, आदरणीय भाई आशुतोष जी बधाई .
हाल उनसे कहते दिल का जब तलक
यार नजरों से ही सब जतला गया..........बहुत खूब.
आदरणीया अन्नपूर्णा जी हौसला अफजाई के लिए तहे दिल शुक्रिया ..आदरणीय बागी जी के मार्गदर्शन के अनुरूप परिवर्तन कर लिया है .जिससे शेर पहले से बढ़िया हो गया है . आप सभी का स्नेह यूं ही सतत मिलता रहे ..सादर
आ0 आशुतोष जी सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । आ0 बागी जी के द्वारा बताए गए संशोधनों को करके देखिये गजल और अधिक खूबसूरत हो सकती है । सादर
आदरणीय श्याम जी .हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया .बस यूं ही स्नेह बनाएं रखें सादर
आदरणीय बागी सर ..आपका सतत प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मुझे मिलता रहा है ..आपके सुझाव मुझे बेहद पसंद आये थोड़े से परिवर्तन से ही शेर खुद मुझे अब बेहतर लग रहा है ,,आपके मार्गदर्शन के अनुरूप परिवर्तित करूंगा ..तहे दिल धन्यवाद और भविष्य में भी आपका स्नेह यथावत मिलता रहे ऐसी कामना के साथ ,,सादर
आदरणीय अभिनव जी ..आपके द्वारा उत्साह वर्धन से मुझे सतत ही हौसला मिलता रहा है ..एक बार पुनः हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online