वक्त की मारी नहीं मैं,
हालत की मारी नहीं मैं,
जिन्दगी से घबराई नहीं मैं
शिकार हूँ दुश्कर्म की ,
जिन्दगी से हारी नहीं मैं।
अवला नहीं मैं
जो सहूँ जुल्मो सितम केा
आज की नारी हूँ,
बदल दूँगी जमाने को,
जमाने की सोच केा
अपनी जिंन्दगी केा
क्योंकि मैं आज की नारी हूँ
जिन्दगी से हारी नहीं हूँ।
मेरा क्या हुआ,
सम्मान गया
नहीं।
बेनकाब हो गया
चेहरा मानव समाज का
सल्तनत का
धर्म के ठीकेदारो का
जो करते है दावे
अबलाओं की इज्जत का
मान का,
प्रतिष्ठा का
कहाँ गये उनके दावे
जब लुट रही थी सरे राह
अबला की इज्जत
हो रहा था खेलवाड
उसकी अस्मिता से,
आज मेरा प्रश्न है
समाज के ठीकेदारो से
पुलिस के जवानो से
सरकार के नुमांइदो से
मेरा सवाल हैं
मानव समाज से,
आखिर कब तक
लुटेगी हमारी इज्जत
कब होगें हम सुरक्षित
कब होगी अबला
के अस्मिता की रक्षा
आज की बेटी
फाँसी की सजा नहीं
सुरक्षा के वादे नहीं
सुरक्षा चाहती हैं
ताकी फिर ना हो
कोई बेटी अखंड
शिकार बलत्कार का
जोरो- जर्बदस्ती का
अनचाहे संबंधों का
ना हो डर उसे
मर्यादा खोने का
ना हो उसे डर
सुरक्षा का
एक बेटी चल सके
निर्भय होके इस यकीन से
इस विश्वास से कि
आज
उसके साथ है
आप,हम
और पूरा मानव समाज
मौलिक एंव अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
भावों का सुंदर संप्रेषण है आ0 अखंड गहमरी जी...... बहुत बहुत बधाई....... किंतु वही टंकण त्रुटियाँ हैं..... आपको उन्हें सुधारने पर गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है...
आदरणीय प्रयास बहुत बढ़िया विचार बेहद नेक हैं बधाई स्वीकारें
इस तरह कि रचना पहली बार पढ़ रहा हूँ भाई जी....... अच्छी सोच है.......
आदरणीय अखंड गहमरी जी, बहुत अच्छी प्रस्तुति है बधाई स्वीकार करें
आदरणीय अखंड भाई , बहुत अच्छी रचना के लिये बधाई !!!!!
बढ़िया कथ्य है प्रस्तुति का|
प्रयास पर बधाई लीजिये!!
गहमरी जी शुरूआती हडबडी के बाद जब आप जमे तो क्या बैटिंग की I टाइप की त्रुटियाँ चुभती हैं I
समाज सुधरे या न सुधरे पर कवि धर्म बना रहे यही हमारा कर्त्तव्य है I
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online