For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम ढोते हैं अपनी विरासत को

हम ढोते हैं अपनी विरासत को
सभ्यता को
संस्कृति को
शाश्वत दर्शन को
बिना जाने
बिना समझे 
जीवन में उतारे बिना
हम पूजते हैं
अपने मूल्यों को
बिना समझे
बिना जाने
भटकते हैं
रौशनी के काफिले
हमें गर्व है
अपनी थाती पर
वेदों पर
पुराणों पर
मोहनजोदड़ो, हड़प्पा
के अवशेषों पर 

कटकर
अपनी जड़ों से-

कैसा

माटी का गुणगान ?
अध्यात्म की वृहद चर्चाओं में
कथित 'बाबाओं' की सभाओं में
खेली- खाई 'नैतिकता'
के छलावों में 
हम ढोते  
हैं आत्मा का बोझ 
 यह  कैसा
राष्ट्रीय चरित्र?
कि हम ढोते हैं ...
महज ढोते ही हैं -
अपनी विरासत को !!!


Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on February 27, 2013 at 8:46am

धन्यवाद भ्रमर जी, विचारशील प्रतिक्रिया एवं सराहना के लिए.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 11:19pm

आदरणीया विनीता जी सुंदर रचना हमारी संस्कृति संस्कार नैतिकता बनी रहे तो आनंद और आए
भ्रमर ५

Comment by Vinita Shukla on February 20, 2013 at 8:55am

बहुत बहुत धन्यवाद आ. अशोक जी.

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 19, 2013 at 11:14pm

लकीर का फ़कीर ना बनाने की नसीहत देती सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरेया विनीता जी सादर.

Comment by Vinita Shukla on February 19, 2013 at 10:26pm

समर्थन एवं सराहना हेतु, कोटिशः धन्यवाद अरुण जी.

Comment by Arun Sri on February 19, 2013 at 8:05pm

ये रचना तो आइना लेकर खड़ी है ! वाणी और चरित्र के अंतर को प्रभावशाली तरीके से चित्रित करती रचना ! सन्देश देती हुई कि या तो अपनी आत्मा को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें या बंद करें व्यर्थ का प्रलाप ! सादर !

Comment by Vinita Shukla on February 19, 2013 at 7:19pm

अनेकानेक धन्यवाद डॉ. अजय खरे जी.

Comment by Vinita Shukla on February 19, 2013 at 7:18pm

हार्दिक धन्यवाद राजेश कुमारी जी, इस विचारशील, उत्साहवर्धन करने वाली प्रतिक्रिया के लिए.

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:10pm

bahut sunder rachna ke liye badhai


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 11:59am

जी हाँ आज की पीढ़ी  को देखकर तो यही लग रहा है कि ये मान्य्तायेन ये संस्कृति ढो ही रहे हैं अब हमारा ही मौलिक धर्म कर्तव्य बनता है कि इस धरोहर का पूर्ण ज्ञान वितरित किया जाए घरों से ही ये संस्कार बच्चों में डाले जाएँ सच में आज कि परिथितियो को देखकर  मन में ये प्रश्न उपजना स्वाभाविक है बहुत अच्छा लिखा बधाई आपको  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service