हर तरफ हैं रंग कितने
आओ चुन लें
भाव के मोती बिछे हैं
शब्द के कालीन पर
प्रीत की सुर लहरियाँ हैं
आस्था की बीन पर
आओ ना कुछ
नर्म सेअहसास बुन लें
भागते लम्हों की गीली
गुनगुनी सी रेत पर
अल्पनायें कुछ उकेरें
मौज के संकेत पर
'कल' की खातिर 'आज' से
हम कुछ शकुन लें
Comment
आदरणीय विजय जी हार्दिक आभार
प्रिय संदीप,अरुण धन्यवाद अपनी प्रतिक्रया देने के लिए
शुक्रिया अमितेष जी,तपन जी, गणेश जी एवं प्रदीप जी
प्रिय प्राची आपके स्नेह का दिल से अभिनन्दन .....
आभार सौरभजी आपकी उपस्थिति ही ऊर्जा से भर देती है :)
बहुत बहुत धन्यवाद अशोक जी
सुन्दर नवगीत, भावनाओं का सुन्दर सफर. सादर बधाई स्वीकारें आद. सीमा जी.
सीमाजी, सुन्दर और कोमल से इस नवगीत पर आपको हार्दिक बधाई. बहुत ही सुन्दर प्रयास हुआ है.
बार-बार बधाई.. .
आदरणीया दीदी सादर प्रणाम, सुन्दर फूलों की माला सी गुंथीं सुन्दर मनमोहक नवगीत हेतु हार्दिक बधाई.
'कल' की खातिर 'आज' से
हम कुछ शकुन लें
जरूर
सुन्दर
बधाई
आदरणीया सीमा जी सादर
भाव के मोती बिछे हैं
शब्द के कालीन पर
प्रीत की सुर लहरियाँ हैं
आस्था की बीन पर ...................बहुत सुन्दर शब्दों की जादूगरी
इस सुन्दर नवगीत के लिए बधाई आदरणीया सीमा जी
भाव के मोती, अच्छे लगें, बहुत ही प्यारी रचना, बधाई हो इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर |
बढिया ......................
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