For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मिश्कात अपने दिल को बनाने चली हूँ मैं

वज़्न -221 2121 1221 212

हस्ती में उसकी ख़ुद को मिलाने चली हूँ मैं
यानी कि अपने आप को पाने चली हूँ मैं

दरिया सिफ़त हूँ आब है मुझ में उसी का और
जानिब उसी की प्यास बुझाने चली हूँ मैं

रौशन चराग़ सा वो रहे मुझ में इसलिए
मिश्कात* अपने दिल को बनाने चली हूँ मैं

जिस ख़ाक से बनी हूँ फ़ना उस में ख़ुद को कर
मिट्टी वजूद अपना बचाने चली हूँ मैं

जब वो है मेरे गिर्द हवा-सा तो किस लिए
अपने क़रीब उस को बुलाने चली हूँ मैं

रहकर बदन की क़ैद में उसके विसाल को
अब रूह का परिंदा उड़ाने चली हूँ मैं

हर आरज़ू भुला के बस इक उसकी आरज़ू
इस 'आरज़ू' के नाज़ उठाने चली हूँ मैं

-©अंजुमन 'आरज़ू'
स्वरचित एवं अप्रकाशित

मिश्कात = वह बड़ा ताक़ या आला जिसमें चिराग़ रखा जाय

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2021 at 7:26pm

आदाब। बहुत बढ़िया दार्शनिक अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई आदरणीया अंजुमन आरज़ू जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 27, 2021 at 7:13am

आ. अंजुमन जी, अभिवादन। गजल का अच्छा प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई।

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 19, 2021 at 12:13pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ,ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया"

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 17, 2021 at 4:46pm

बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीया बधाई...

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 16, 2021 at 9:16pm

मोहतरम नाथ सोलंकी जी, मोहतरमा  Nilesh Shevgaonkar जी 

मोहतरम मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर जी

ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफजाई करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया नवाज़िशें  

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 14, 2021 at 4:50pm

मुहतरमा आरज़ू साहिबा आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 14, 2021 at 8:44am

आ. आरज़ू जी,
अच्छी ग़ज़ल हुई है.
ढेरों दाद स्वीकार करें 

Comment by नाथ सोनांचली on October 14, 2021 at 7:08am

आद0 Anjuman Mansury 'Arzoo' जी सादर अभिवादन

बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। शेर दर शेर दाद कुबूल करें। सादर

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 12, 2021 at 1:21am

उस्ताद मोहतरम समर कबीर साहब आदाब, ग़ज़ल तक तशरीफ़ लाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया, मैं सुधार की कोशिश करूंगी ।

Comment by Samar kabeer on October 11, 2021 at 7:32am

मुहतरमा अंजुमन `आरज़ू `` जी आदाब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है , बधाई स्वीकार करेंI 

`जिस ख़ाक से बनी हूँ फ़ना उस में ख़ुद को कर`

इस मिसरे का वाक्य विन्यास ठीक नहीं है , देखिएगा I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service