For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दम नहीं रहा मेरे यार मे.....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

212. 12. 212. 12.

दम नहीं रहा मेरे यार में
क्या रखा फिर जीत हार में (1)

कह रहा है वो मन को क़ैद कर
जो नहीं मिरे इख़्तियार में (2)

वस्ल की घड़ी ख़्वाब बन गई
उम्र कट गई इंतिज़ार में (3)

सुब्ह आएगा वो यक़ीन है
शब कटी इसी एतिबार में (4)

सामने मिरे भीख बट रही
रह गया खड़ा मैं क़तार में (5)

क्या ख़िज़ाँ ने ही दी है बद्दुआ
फूल मर गए इस बहार में (6)

धूप में सदा पूछते रहे
प्यास क्यों लगी रेगज़ार में (7)

सिर्फ नफ़रतों के सिवा बता
क्या मिला मुझे तेरे प्यार में (8)

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 4, 2021 at 11:34am

वाह बहुतख़ूब आदरणीय...इस मापनी पे पहली ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..सादर

Comment by सालिक गणवीर on June 21, 2021 at 6:54pm

आदरणीय Samar kabeer साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए तह-ए -दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.

Comment by Samar kabeer on June 21, 2021 at 6:34pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by सालिक गणवीर on June 21, 2021 at 9:35am

प्रिय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

सादर अभिवादन

ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 21, 2021 at 8:57am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by सालिक गणवीर on June 21, 2021 at 8:14am

*मतले का सानी मिसरा यूँ पढ़ा जाए..

क्या रखा है फिर जीत-हार में

सातवाँ शैर..

धूप में मुझे पूछने लगे

प्यास क्यों लगी रेग-ज़ार में

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service