जीवन पर कुछ दोहे :
जीवन नदिया आस की, बहती जिसमें प्यास।
टूटे सपनों का सहे, जीव सदा संत्रास।१ ।
जीवन का हर मोड़ है, सपनों का भंडार।
अभिलाषा में जीत की, छिपी हुई है हार।२ ।
जीवन पथ निर्मम बड़ा, अनदेखा है ठौर।
करने तुझको हैं पथिक,सफ़र सैंकड़ों और।३।
जीवन उपवन में खिलें, सुख -दुख रूपी फूल।
अपना -अपना भाग्य है फूल मिलें या शूल।४ ।
मिथ्या जग में जीत है, मिथ्या जग में हार ।
जीवन का हर मोड़ है, सपनों का संसार।५।
छाया अपनी झूठ है, झूठा है संसार।
मुट्ठी भर है ज़िंदगी, जीवन का शृंगार ।६।
फुटपाथों पर भूख के, सजे हुए बाज़ार।
कितना नंगा सत्य है, ये क्षुधार्त संसार।७।
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ, हार्दिक आभार।
आदरणीय Samar kabeer जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ, हार्दिक आभार।
आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीरजी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ, हार्दिक आभार।
आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंहजी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ, हार्दिक आभार।
आ . भाई सुशील जी, सादर अभिवादन । अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय सुशील सरना जी, आदाब। आपने जो जीवन की वास्तविकता को उकेर कर शब्दों को दोहा रूपी सच्चे मोतियों की माला में पिरो कर इतने सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है, ऐसा कम ही मिलता है। बहुत धन्यावाद और बधाईयाँ स्वीकार करें।
"जीवन नदिया आस की, बहती जिसमें प्यास।
टूटे सपनों का सहे, जीव सदा संत्रास।"
"जीवन आदि अंत का, अद्भुत है संसार।
एक पृष्ठ पर जीत है, एक पृष्ठ पर हार।" लाजवाब ।
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