For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरे अफ़साने :

अधूरे अफ़साने :

जाने कितने उजाले ज़िंदा हैं
मर जाने के बाद भी
भरे थे तुम ने जो
मेरी आरज़ूओं के दामन में
मेरे ख़्वाबों की दहलीज़ पर
वो आज भी रक़्स करते हैं
मेरी पलकों के किनारों पर

तारीकी में डूबी हुई
वो अलसाई सी सहर
वो अब्र के बिस्तर पर
माहताब की
अंगड़ाइयों का कह्र
वो लम्स की गुफ़्तगू
महक रही है आज भी
दूर तलक
मेरे जिस्मो-जां की वादियों में

तुम थे
तो अंधेरों से मोहब्बत थी हमको
जुदा हो कर तुमसे
गुम कर लिया है ख़ुद को
अंधेरों की क़बा में
आओ और ले जाओ
अपनी उल्फ़त की वो रिदा
सोये हैं जिसमें
ख़ामोश क़ुर्बतों के
अधूरे अफ़साने

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 17, 2020 at 9:28pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ, हार्दिक आभार।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on June 4, 2020 at 7:35am

आदरणीय सुशील सरना जी बहुत ही अच्छी रचना हुई कितनी भी प्रशंसा की जाय कम है दिल से बधाई

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2020 at 8:39pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब, सृजन के भावों पर आपकी स्नेह बरखा का दिल से आभार। आपके सुझाव का दिल से आभार। मैं इसे अभी एडिट करता हूँ। तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2020 at 8:37pm

आदरणीय  अमीरुद्दीन खा़न "अमीर " जी भावों पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से सृजन सार्थक हुआ, हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2020 at 8:37pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी भावों पर आपकी मनोहारी प्रशंसा से सृजन सार्थक हुआ, हार्दिक आभार।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 2, 2020 at 3:47pm

आदरणीय सुशील सरना जी, आदाब। "अधूरे अफ़साने" ख़़ू़ूबसूरत रचना के लिए आपको बहुत बधाईयाँ। सादर ।

Comment by Samar kabeer on June 2, 2020 at 3:22pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

'तारीक में डूबी हुई '

इस पंक्ति में 'तारीक' को "तारीकी" कर लें ।

'ग़ुम कर लिया है'

इस पंक्ति में 'ग़ुम' को "गुम" कर लें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 2, 2020 at 12:57pm

आ. भाई सुशील जी सादर अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
40 minutes ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
5 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service