For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़रीब हूँ मैं मगर शौक इक नवाबी है(८०)

(1212 1122 1212 22 /112 )

ग़रीब हूँ मैं मगर शौक इक नवाबी है
ख़िज़ाँ की उम्र में भी दिल मेरा गुलाबी है
**
अधूरा काम कोई छोड़ना नहीं आता
कि मुझ में बचपने से एक ये ख़राबी है
**
मेरे लिए ही सनम क्यों हया का है पर्दा
रक़ीब से तो बहुत तेरी बेहिजाबी है
**
यक़ीन आता नहीं आज चन्द लोगों की
न फ़िक्र और न ही सोच इंकलाबी है
**
फिर एक बार उठाया है नफ़रतों ने सर
कहाँ पे आज हुई गुम सुकूँ की चाबी है
**
सुकूँ की धूप सहर-शाम बाँटता हूँ मैं
अभी तलक मेरी फ़ितरत ये आफ़ताबी है
**
उक़ाब* चुग रहे हैं इन दिनों सुना दाना (*बाज़ )
कबूतरों की हवस हो गई उक़ाबी है
**
मिले जो रौंद के अपने की लाश पावों से
ख़ुदा ही जाने कि ये कैसी कामयाबी है
**
किसी की चश्म की मय जबसे पी है तब से 'तुरंत '
बग़ैर मय को पिये तन-बदन शराबी है
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 473

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 7, 2020 at 6:26pm

भाई Salik Ganvir  जी , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार | 

Comment by सालिक गणवीर on April 7, 2020 at 4:27pm
आदरणीय गहलोत जी
एक शानदार ग़ज़ल पोस्ट करने पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें. वाह.
कबूतरों की हवस हो गई उक़ाबी है. लाजवाब मिसरा
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 7, 2020 at 10:14am

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , आदाब , आपके उत्साहवर्धक सराहना के लिए हार्दिक आभार 

Comment by TEJ VEER SINGH on April 7, 2020 at 8:56am

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी जी।बेहतरीन गज़ल।

मिले जो रौंद के अपने की लाश पावों से
ख़ुदा ही जाने कि ये कैसी कामयाबी है

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 6, 2020 at 6:34pm

आदरणीय  Samar kabeer साहेब , 

आपकी   पुरखुलूस  हौसला  अफ़ज़ाई  का  दिल  से  शुक्रग़ुज़ार  हूँ . सादर नमन | 

Comment by Samar kabeer on April 6, 2020 at 4:31pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'ग़रीब हूँ मैं मगर शौक इक नवाबी है'

इस मिसरे में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं,सहीह शब्द है "नव्वाबी",देखियेगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 5, 2020 at 5:50pm

आपने रचना को सराहा। आपके स्नेह के लिए अंतस्थल से आभारी हूँ। सादर नमन भाई Sushil Sarna जी | 

Comment by Sushil Sarna on April 5, 2020 at 2:43pm

वाह क्या शे'र है सर..... गज़ब की अदायगी है। .... खूबसूरत अहसासों के खूबसूरत अशआर ... दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी ... सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
17 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service