अंतस के हिम निर्झर से जब
भाव पिघलने लगते है|
गीतों में ढलने को मेरे
शब्द मचलने लगते हैं ॥
***
लेखन आता नहीं मुझे पर लिखता हृद उद्गारों को |
और बुझा लेता हूँ लिखकर हिय तल के अंगारों को |
कहाँ निभा पाता हूँ अक्सर मैं छंदो का अनुशासन
अलंकार-से भूल गया हूँ शब्दों के श्रृंगारों को |
भाषा शुद्ध न हुई भले ही
लय सुर ताल रहे बाक़ी
बिम्ब-प्रतीक सृजन से जब भी
भाग निकलने लगते हैं |
गीतों में ढलने को मेरे
शब्द मचलने लगते हैं ॥
***
लिखना मुश्किल है भावों को कहना सदा सरल होता |
आखों में अविरल आँसू हो दिल जब कभी तरल होता |
सृजन कार्य शब्दों को केवल नहीं सजाना है क्रम में
अमृत-पान की अभिलाषा में पीना यहाँ गरल होता |
अंत दर्द का होता जिस पल
हृदय द्वार लौटे खुशियाँ
अनायास जब मन आँगन में
दीपक जलने लगते हैं |
गीतों में ढलने को मेरे
शब्द मचलने लगते हैं ॥
***
पहले केवल अवचेतन में एक सुक्ष्म आकार बने |
भावों से जब मिले कल्पना तो लेखन-आधार बने |
विस्तारित जब हुए भाव तो पंख पसारें नभ छूने
बहने लगे भाव निर्झर तब स्वयं गीत साकार बने |
कुछ अनजाने कुछ पहचाने
दृश्य उभरते जेहन में
और हृदय में जब जब नूतन
सपने पलने लगते हैं |
गीतों में ढलने को मेरे
शब्द मचलने लगते हैं ॥
***
अंतस के हिम निर्झर से जब
भाव पिघलने लगते है|
गीतों में ढलने को मेरे
शब्द मचलने लगते हैं ॥
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सादर आभार आदरणीय Dayaram Methani जी
सादर आभार आदरणीय Samar kabeer साहेब |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online