For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हौंसलों के पंख (गीत).......डॉ0 प्राची


हौसलों के पंख ओढ़े
स्वप्न फिर थिरके सभी,
चूम कर अपना धरातल
उड़ चले विस्तार को...

क्या हुआ गत वक्त की यदि बेड़ियाँ थीं क्रूरतम
क्या हुआ जख्मी हृदय यदि दर्द से होते थे नम
स्वप्न में कण भर धड़कते प्राण जब तक शेष हैं
जीतती है आस तब तक, हारते विद्वेष हैं
हर विगत की आँच पर रख
नर्म भावों की छुअन,
बढ़ चले हैं स्वप्न फिर
युग के नवल शृंगार को...

हो निशा चाहे घनेरी ये चलेंगे पार तक
राह नित गढ़ते बढ़ेंगे रौशनी केे द्वार तक
दृढ़ हृदय संकल्प ले सन्मार्ग पर बढ़ता जहाँ
भोर खुद पलकें बिछाए राह तकती है वहाँ
भीत मन को जीत कर बस
लक्ष्य पर टाँके नज़र,
बढ़ चला आतुर बटोही
फिर तमस संहार को...

मृग फिरे अनभिज्ञ कब तक, अब तो कस्तूरी मिले
चाँद के अभिमान को कब तक अमावस्या छले
याचना संदल करे क्यों, कीर्ति उसका भाग्य है
क्यों मणिक अपनी प्रभा के खोजता सब साक्ष्य है
मान औ' पहचान अपनी
बाजुओं में थामने,
सर उठा कर स्वप्न दौड़े
श्राप से उद्धार को...

( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 891

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 9, 2016 at 10:58pm

सप्रवाह पढ़ता गया इस गीत को ! हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ, आदरणीया ! शब्दकल के सापेक्ष शब्दों के भार के अनुसार संयोजन हेतु आदरणीय मिथिलेश जी का सुझाव मुग्ध कर गया.

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 7, 2016 at 1:18pm

गीत की सराहना, अनमोल सुझावों, और हौसला अफजाई के लिए सभी सुधि पाठकों साथियो का तहे दिल से शुक्रिया 

सादर 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on December 31, 2015 at 11:47am

pyaree rachnaa - dheron badhaee PRachee jee

Comment by Ravi Shukla on December 29, 2015 at 5:17pm
आदरणीया प्राचीजी ,सुन्दर सूक्ष्म भावो के साथ रचे गए इस गीत के लिए बधाई स्वीकार करें ।
Comment by pratibha pande on December 29, 2015 at 9:35am

सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया प्राची जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 28, 2015 at 7:17pm

बहुत सुन्दर गीत लिखा है प्राची जी ,हार्दिक बधाई 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on December 28, 2015 at 6:46pm
सरित प्रवाहमय गीत के लिए बधाइयाँ
Comment by Samar kabeer on December 28, 2015 at 5:29pm
मोहतरमा डा.प्राची जी आदाब,आपका गीत अच्छा लगा,मैं जनाब मिथिलेश जी की बात से सहमत हूँ!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2015 at 8:39am
आपके गीत और नवगीत पढ़ने में आनंद आ जाता है।कमाल का सृजन होता है आपका।हार्दिक बधाई इस एक और सुंदर,सुरीली एवम् भावपूर्ण रचना के लिए आदरणीया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 27, 2015 at 11:53pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी, बहुत सुन्दर गीत लिखा है आपने. पूरा गीत फ़ायलातुन फ़ायलातुन फ़ायलातुन फायलुन के प्रवाह में मुग्ध करता हुआ आनंदित कर रहा है. इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है.

एक निवेदन है -

//बढ़ चला आतुर बटोही 

तमस के संहार को...//

यहाँ लय बाधित हो रही है इसे यूं गुनगुना रहा हूँ-

//बढ़ चला आतुर बटोही 

फिर तमस संहार को...//

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service