For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमर ...

प्रश्न 

कभी मृत नहीं होते
उत्तर
सदा अमृत नहीं होते
कामनाएं
दास बना देती हैं
उत्कण्ठाएं
प्यास बढ़ा देती हैं
शशांक
विभावरी का दास है
शलभ
अमर लौ अनुराग है
दृष्टि
दृश्य की प्यासी है
तृषा
मादक मकरंद की दासी है
भाव
निष्पंद श्वास है
अंत
अनंत का विशवास है
स्मृति
कालजयी कल है
अमर
प्रीत का हर पल है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 9, 2017 at 8:05pm

आदरणीय सौरभ सर , प्रणाम  ... आप सृजन पर आये, अपने स्नेहिल आशीर्वाद से उसे अलंकृत किया , सृजनकर्ता के हृदय को परमसुख का अनुभव हुआ। अपने कीमती समय से सृजन को आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 9, 2017 at 3:15pm

कविताओं में पारिभाषिकता का चलन एक समय बहुत ज़ोर पर था. आज उस तौर की कविता को देख कर भला लगा. वैसे यह शिल्पगत व्यवस्था है. जो चलन के हिसाब से आती-जाती रहती है. आपके प्रयास केलिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरनाजी. 

Comment by Sushil Sarna on October 9, 2017 at 2:53pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'   जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by नाथ सोनांचली on October 8, 2017 at 7:42am
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन, बेहद भाव पूर्ण के साथ साथ अर्थ पूर्ण, भाव विभोर करती हुई रचना,हार्दिक बधाई स्वीकारें इस प्रस्तुति पर।
Comment by Sushil Sarna on October 7, 2017 at 7:31pm

आदरणीय   SALIM RAZA REWA  साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 7, 2017 at 7:30pm

आदरणीय    Tasdiq Ahmed Khan  साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 10:06pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदब, 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

मेरी ग़ज़लों  में भी आपकी महब्बत  चाहता हूँ  ,

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 6, 2017 at 5:58pm
जनाब सुशील सरना साहिब, सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Sushil Sarna on October 6, 2017 at 3:48pm

आदरणीय   Afroz 'sahr'  साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Afroz 'sahr' on October 6, 2017 at 2:38pm
जनाब सुशील जी आदाब अति सुंदर कविता अभिव्यक्ति का निराला ढंग वाहहहहह,,,,सफ़ल रचना,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service