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फुसफुसाहट नफरतों की तेज फिर होने लगी - ग़ज़ल

2122  2122  2122  212

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एक भी उम्मीद उन  से  तुम न पालो दोस्तो

रास्ता  इन  बीहड़ों  में  खुद  बना  लो दोस्तो

***

बंद दरवाजे जो  दस्तक से  नहीं खुलते कभी

इंतजारी  से  तो  अच्छा  तोड़  डालो  दोस्तो

***

फुसफुसाहट नफरतों की तेज फिर होने लगी

प्यार का परचम  दुबारा तुम उठा लो दोस्तो

***

होश में तो  कह  रहे  थे ‘साथ  हम तेरे खड़े’

गिर रहा मदहोशियों  में अब सॅभालो दोस्तो

***

मौत से  बढ़कर  पहेली  जिंदगी हमको लगी

हल पहेली  का  तो कोई तुम निकालो दोस्तो

***

करके कद  छोटा  किसी का तो  बडे़ होते नहीं

वास्ते इसके  स्वयं  का   कद बढ़ा लो दोस्तो

***

                      (रचना-१५ जून २०१४)

***

मौलिक और अप्रकाशित

( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 23, 2014 at 10:14am

आ0 भाई विजय शंकर जी रचना का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2014 at 7:32pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत कही है , हर शे र काबिले दाद है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2014 at 12:10pm

अजगुत , अद्भुत , अद्वितीय , अविस्मरणीय  i

धामी जी आपकी कलम को नमस्कार i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 9:55am

मौत से  बढ़कर  पहेली  जिंदगी हमको लगी

हल पहेली  का  तो कोई तुम निकालो दोस्तो...........बहुत ही खूब कहा, लाजवाब

हरेक शेर बेहतरीन आदरणीय लक्ष्मण जी, दिली बधाइयाँ स्वीकारें

Comment by Abhinav Arun on June 22, 2014 at 7:18am
मौत से बढ़कर पहेली जिंदगी हमको लगी

हल पहेली का तो कोई तुम निकालो दोस्तो...क्या कहने आदरणीय शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई !!
Comment by वेदिका on June 22, 2014 at 2:46am
एक भी उम्मीद उन से तुम न पालो दोस्तों
रास्ता इन बीहड़ों में खुद बना लो दोस्तों // वाह! बेहद खूबसूरत आशावान मतला

बंद दरवाजे जो दस्तक से नहीं खुलते कभी
इंतजारी से तो अच्छा तोड़ डालो दोस्तों // सबसे खूबसूरत शेअर मेरी नज़र में
लाजवाब गजल के लिए दिली दाद प्रेषित है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2014 at 9:52pm

आत्मविश्वास जगाती सार्थक ग़ज़ल कही है लक्ष्मण धामी भैय्या ,बहुत खूब हार्दिक बधाई प्राप्त करें 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 21, 2014 at 8:22pm
आदरणीय लक्ष्मण दामी जी ,
बहुत सुन्दर , करके कद छोटा किसी का तो बडे़ होते नहीं
वास्ते इसके स्वयं का कद बढ़ा लो दोस्तो
***
बधाई।
सादर।

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