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कोई ऐसा मिला प्यार की राह में

कोई ऐसा मिला प्यार की राह में,
इक नज़र में ही उसपर फ़िदा हो लिए..
क्या कशिश थी उन आंखों में, हम क्या कहें?
देखते ही वो मेरे ख़ुदा हो लिए..
-
उनकी सूरत की जो रोशनी मिल गयी
शायरी के लिए, शायरी मिल गयी.
एक पल में न जाने ये क्या हो गया?
हमको ऐसा लगा हर ख़ुशी मिल गयी.

इस नज़ाकत से उनकी निगाहें झुकीं,
दिल के अहसास सारे फ़ना हो लिए..
(कोई ऐसा मिला प्यार की राह में,
इक नज़र में ही उसपर फ़िदा हो लिए..)
**
शाम ढल-सी गयी, रात होने लगी
फिर अचानक यूँ बरसात होने लगी.
कुछ न उसने कहा, कुछ न हमने सुना,
पर इशारों में हर बात होने लगी.

इस अदा से हमें देख वो हंस दिए,
हम उसी वक़्त ख़ुद से जुदा हो लिए..
(कोई ऐसा मिला प्यार की राह में,
इक नज़र में ही उसपर फ़िदा हो लिए..)
**
जब सुकूँ देने लगती हैं मदहोशियाँ
औ' ज़ुबाँ ने भी रख ली हों ख़ामोशियाँ
पल गुज़रते हैं जब उनकी आग़ोश में,
अच्छी लगती हैं उनकी वो गुस्ताख़ियाँ

बेवजा कट रही थी जो ये ज़िंदगी,
वो उसी ज़िंदगी की वजा हो लिए..
(कोई ऐसा मिला प्यार की राह में,
इक नज़र में ही उसपे फ़िदा हो लिए..)

© मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 8, 2017 at 11:07am
आदरणीय यमेता जी सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Zaif on April 7, 2017 at 7:27pm
बेहद शुक्रिया, समर जी एवं राजेश कुमारी जी।
मार्गदर्शन हेतू धन्यवाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 7, 2017 at 7:14pm

बहुत सुन्दर नज़्म कही है आद० पुनेठा जी बाकी आद० समर भाई जी की इस्स्लाह काबिले गौर है | आपको बहुत बहुत मुबारकबाद |

Comment by Samar kabeer on April 7, 2017 at 6:22pm
जनाब यमित पुनेथा जी आदाब,काफ़ी समय बाद आपने दर्शन दिये, बहुत उम्दा नज़्म कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
छटे बन्द में 'मदहोशियाँ,'ख़ामोशियाँ'के साथ ''गुस्ताख़ियां'की तुकान्तता सही नहीं है,इसे 'सरगोशियाँ' कर लें तो मुनासिब होगा ।
अपनी रचनाओं से मंच को फैज़याब करते रहें ।
Comment by Zaif on April 7, 2017 at 3:07pm
आ. आरिफ़ जी, रवि जी धन्यवाद!
इसका शीर्षक है - "कोई ऐसा मिला प्यार की राह में"

ये रचना मैंने (2122 1221 2212) बह्र पर कहने की कोशिश की है। कृपया मार्गदर्शन करें।
Comment by Ravi Shukla on April 7, 2017 at 1:26pm

आदरणीय यमित जी नमस्‍कार ओ बी ओ में आपका स्‍वागत है आदरणीय मोहम्‍मद आरिफ जी ने सहा कहा है रचना की विधा और उसका मात्रिक विधान रचना से पूर्व लिखना अो बी ओ का अनुशासन है जिससे पाठको को उसकी जानकारी हो सके । रचना प्रस्‍तुत करने के लिये बधाई । जिस विधा पर आप काम करना चाहते है उससे संंबंधित ग्रुप मख्‍य पृष्‍ठ पर उपलब्‍ध है आनी रुचि के अनुसार उसको ज्‍वाईन करें और संभावनाओं का अथाह सागर आपके सामने खुल जाएगा । सादर

Comment by Mohammed Arif on April 7, 2017 at 12:40pm
आदरणीय यमित पुनेथा जी आदाब, आपकी रचना से मेरा पहला साक्षात है ।शायद आप ओबीओ मंच से अभी-अभी जुड़े हैं । सर्वप्रथम ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है । आपने रचना का शीर्षक नहीं लिखा है । शायद आप मुक्तक कहना चाहते हैं । मुक्तक के शैल्पिक सौष्ठव की निगाह से देखे तो आपके मुक्तक मात्रिक विधान में नहीं है । इनको सही बह्र में लिखना होगा । आगामी मार्गदर्शन गुणीजन देंगे । ओबीओ मंच में शामिल होने के लिए आपको बधाई ।

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