For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - चींटियों को देखना तुम

2122 2122 2122 212

होंठ पर अटकी सदा की लर्ज़िशें* क्या होती हैं?
छोड़ दें जब साथ अपने, गर्दिशें क्या होती हैं?

आपने दिल तोड़ डाला खेलकर जज़्बात से,
मेरे टूटे दिल से पूछो, ख़्वाहिशें क्या होती हैं?

क्यों हुई घर में लड़ाई, ये बड़ों से पूछिये!
बच्चों से मत पूछिये के रंजिशें* क्या होती हैं?

छूटने की, मौत से, होती हैं सौ गुंजाइशें,
ज़िंदगी से बचने की गुंजाइशें क्या होती हैं?

दो दिलों में प्यार होना सर्द बूँदों के तले,
इश्क़ वालों को पता है, बारिशें क्या होती हैं?

की हुई कोशिश अगर तुमको बहुत ज़्यादा लगे,
चींटियों को देखना तुम कोशिशें क्या होती हैं?

© यमित पुनेठा 'ज़ैफ़'

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2015 at 10:37am

क्यों हुई घर में लड़ाई, ये बड़ों से पूछिये!
बच्चों से मत पूछिये के रंजिशें* क्या होती हैं?----बहुत सुन्दर संदेशपरक शेर 

की हुई कोशिश अगर तुमको बहुत ज़्यादा लगे,
चींटियों को देखना तुम कोशिशें क्या होती हैं?--वाह बहुत खूब 

अच्छी ग़ज़ल हुई है यमित जी बधाई आपको 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 11, 2015 at 8:13pm

आदरणीय यमित पुनेठा 'ज़ैफ़' साहब ...क्यों हुई घर में लड़ाई, ये बड़ों से पूछिये!
बच्चों से मत पूछिये के रंजिशें* क्या होती हैं?.......बहुत खूब , शानदार प्रस्तुती , बधाई !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 11, 2015 at 2:23pm

आदरणीय यमित जी ..इस सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई 

आपने दिल तोड़ डाला खेलकर जज़्बात से,
मेरे टूटे दिल से पूछो, ख़्वाहिशें क्या होती हैं?......वाह 
क्यों हुई घर में लड़ाई, ये बड़ों से पूछिये!
बच्चों से मत पूछिये के रंजिशें* क्या होती हैं?.......बिलकुल सही कहा है आपने 
की हुई कोशिश अगर तुमको बहुत ज़्यादा लगे,
चींटियों को देखना तुम कोशिशें क्या होती हैं?....अच्छा संदेश    

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 11, 2015 at 1:44pm

आदरणीय

प्रस्तुति सराहने योग्य है i सादर i

Comment by khursheed khairadi on February 10, 2015 at 11:35pm

की हुई कोशिश अगर तुमको बहुत ज़्यादा लगे,
चींटियों को देखना तुम कोशिशें क्या होती हैं?

आदरणीय अमित जी ,सुन्दर प्रस्तुति है |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2015 at 11:38am

आ. यमित भाई अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 10, 2015 at 1:01am

प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें.

Comment by somesh kumar on February 9, 2015 at 10:30pm

क्यों हुई घर में लड़ाई, ये बड़ों से पूछिये!
बच्चों से मत पूछिये के रंजिशें* क्या होती हैं?

अच्छी कोशिश की है आप ने ,उम्मीद है मंच के उस्ताद आपको जल्द ही मार्गदर्शन देंगे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
23 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service