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बिज़नेस का सबक़ (लघुकथा)

"बेटा, ये सब सिर्फ़ उनका बिज़नेस है, कोई समर कैम्प चलाकर पैसा कमाता है, तो कोई हॉबी क्लासेज़! ढंग से कोई कुछ नहीं सिखाता!" - गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने पर वर्मा जी ने अपने बेटे अतुल की फ़रमाइश पर समझाते हुए कहा।


"पापा, फिर स्कूल क्यों भेजते हो, वहां भी तो हमें कुछ भी नहीं सिखाते ढंग से!" अतुल ने जवाब में सवाल किया।

"किसने कहा तुमसे ऐसा?" वर्मा जी ग़ुस्से में बोले।

"ट्यूशन वाले सर ने ! दादा जी भी तो कहते हैं कि सालों ने बिज़नेस बना रखा है! क़िताबें थोप कर कोर्स रटाते रहते हैं, ढंग से कुछ अच्छा नहीं सिखाते!"

बेटे के जवाब से चौंकते हुए वर्मा जी ने कहा- "बेटा, बड़े होकर जब तू ख़ुद पैसे कमायेगा न, तो समझ जायेगा कि बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"

[मौलिक व अप्रकाशित]

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 16, 2016 at 4:51am
मेरी इस नवीन रचना पर समय देकर अनुमोदन व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया मीना पाठक जी, मोहतरम जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी, मोहतरम जनाब समर कबीर साहब, जनाब सुनील प्रसाद जी व जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला साहब।
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 15, 2016 at 11:07pm

आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर,बहुत अच्छी लघुकथा हुई है."बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"......बिलकुल सटीक कहा है. बहुत बधाई. सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2016 at 5:04pm

इस भौतिक युग में अब जीवन में सामाजिक सरोकार नहीं व्यापारिक सरोकार महत्वपूर्ण हो गया | सुंदर लघु कथा 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on September 14, 2016 at 3:02pm
इस दौर में जिंदगी व्यापार बन चुकी है सही नब्ज पकड़ी है जनाब शेख साहब दिली दाद।
Comment by Meena Pathak on September 14, 2016 at 1:48pm

"बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"............बहुत सुन्दर लघुकथा ..बधाई 


Comment by Samar kabeer on September 13, 2016 at 10:39pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, कमाल की लघुकथा लिख दी आपने,दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 13, 2016 at 8:33pm

बड़े होकर जब तू ख़ुद पैसे कमायेगा न, तो समझ जायेगा कि बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"
वाह वह शेख  उस्मानी जी बहुत ही बेबाक तरीके से  एक सत्य का पर्दाफाश किया है .

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