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Rachna Bhatia's Blog (44)

ग़ज़ल - मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है

2122 2122 2122

1

वो ज़रा-सा सिरफ़िरा कुछ मनचला है

जो महब्बत के सफ़र पर चल पड़ा है

2

मेरे दिल ने जो कहा मैंने किया है

काम फिर चाहे वो अच्छा या बुरा है

3

अक़्स आँखों में हमारी जो छिपा है

इस जहाँ के सबसे प्यारे शख़्स का है

4

है महब्बत एक चिंगारी कुछ ऐसी

दिल लगाने वाला ही इसमें जला है

5

बाद मुद्दत के मिला उससे तो जाना

वो मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है 

6

कुछ कहे बिन और…

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Added by Rachna Bhatia on May 17, 2023 at 11:30am — 9 Comments

आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी

माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी

गाज़ियाबाद। इंदिरा चौधरी ने 85 साल की उम्र में जिस इकलौते बेटे की पैरवी करके जमानत कराई, उसे उन्होंने अकेले पाँच वर्ष की उम्र से पाला था। वह जब जेल से बाहर आया तो मां को साथ रखने के बजाय वृद्धाश्रम में छोड़ गया। वह बताती हैं कि वह वाराणसी में बेटे-बहू के साथ ही रह रही थीं। एक दिन अचानक बेटा बहू और पोते को लेकर लापता हो गया। पता चला कि वह जिस कंपनी में काम करता था, वहीं गबन कर गया। कंपनी के केस दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उसे तिहाड़ जेल में…

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Added by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 10:17am — 5 Comments

ग़ज़ल - मेरे घर आज आ रहा है कोई

2122 1212 22

1

सोये जज़्बे जगा रहा है कोई 

दिल प हौले से छा रहा है कोई 

2

नज़रों से मय पिला रहा है कोई

मुझको मुझसे चुरा रहा है कोई

3

चाँद तारो न उम्र भर जाना

मेरे घर आज आ रहा है कोई

4

चन्दा कुछ देर ओढ़ ले बदरी

छत प मुझको बुला रहा है कोई

5

मुस्कुराहट सजा के होटों पर

इश्क करना सिखा रहा है कोई 

6

लौटना अपना मुस्तरद*करके

मेरा ओहदा बढ़ा रहा है…

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Added by Rachna Bhatia on March 8, 2023 at 8:17pm — 4 Comments

सदा - क्यों नहीं देते

221--1221--1221--122

1

आँखों में भरे अश्क गिरा क्यों नहीं देते

है दर्द अगर सबको बता क्यों नहीं देते

2

है जुर्म मुहब्बत तो सज़ा क्यों नहीं देते

गर रोग है तो इसकी दवा क्यों…

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Added by Rachna Bhatia on January 16, 2023 at 1:30pm — 14 Comments

ग़ज़ल- दर्द हरने लगते हैं

1212  1122  1212    22 /112

1

हम आह जब कभी महफ़िल में भरने लगते हैं

नज़र में भर के वो हर दर्द हरने लगते हैं

2

जुनून-ए-इश्क़ में अब क्या सुनाएँ हाल-ए-दिल

ख़याल आते ही उनका सँवरने…

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Added by Rachna Bhatia on June 21, 2022 at 8:21pm — 7 Comments

ग़ज़ल-गूँगा कर दिया

2122 2122 2122 212

1

 उसने मेरे ज़ख़्मों का ऐसे मुदावा कर दिया

सी के आहों का मुहाना उनको गूँगा कर दिया

2

जिसने मेरा कद बढ़ा कर सबसे ऊँचा कर दिया

 उसने सी कर लब मेरे किरदार बौना कर दिया

3

घर जलाकर अपना जिसके दर प कर दी रौशनी

उसने घबरा कर धुँएँ से शोर बरपा कर दिया

4

ख़त्म होते ही नहीं हैं ज़िन्दगी के मसअले

बैठते ही इक के दूजे ने तमाशा कर दिया

5

साथ देता ही नहीं है मेरे दिल का…

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Added by Rachna Bhatia on May 31, 2022 at 7:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल-अपना है कहाँ

2122 2122 2122 212

1

औरों के जैसा मुकद्दर यार अपना है कहाँ

अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ

2

रात होती है कहाँ और दिन गुज़रता है कहाँ

मन मुआफ़िक़़ ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ

3

एक दिन में कुछ नहीं पर एक दिन होगा ज़रूर

आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'

4

आज तक कोई नहीं यह जान पाया दोस्तो

इस ज़माने को बनाने वाला रहता है कहाँ

 5

किस तरह भर लूँ उनींदी आँखों में ख़्वाबों के…

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Added by Rachna Bhatia on May 6, 2022 at 10:30am — 8 Comments

ग़ज़ल -दिल लगाना छोड़ दें

2122 2122 2122 212

1

अश्क पीना छोड़ दें हम दिल लगाना छोड़ दें 

एक उनकी मुस्कुराहट पर ज़माना छोड़ दें

2

हर किसी के आप दिल में आना जाना छोड़ दें

इश़्क को सौदा समझ क़ीमत लगाना छोड़ दें

3

कह दें अपनी चूड़ियों से खनखनाना छोड़ दें 

दिल के रिसते ज़ख़्मों पर यूँ सरसराना छोड़ दें

4

लग गए हों ताले ख़ामोशी के जिनके होठों पर 

उनसे उम्मीदें सदाओं की लगाना छोड़ दें 

5

कब तलक फिरते रहेंगे आप ग़म के सहरा…

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Added by Rachna Bhatia on April 5, 2022 at 9:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल- भाते हैं कम

212 212 212

1

जाने क्यों इश्क़ के पेच ओ ख़म

ज़ेह्न वालों को भाते हैं कम

2

उनके सर की उठा कर क़सम

हम महब्बत का भरते हैं दम

3

मुस्कुरातीं हैं सब चूड़ियाँ

जब सँवारें वो ज़ुल्फ़ों के ख़म

4

जब जी चाहे बुला लेते हैं

करके पायल की छम-छम सनम

5

होंगे दिन रात मधुमास से

जब भी पहलू में बैठेंगे हम

6

जाएँ जब उनकी आग़ोश में

रौशनी शम्अ की करना कम

7

एक पल में ही मर…

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Added by Rachna Bhatia on January 2, 2022 at 1:01pm — 6 Comments

ग़ज़ल-रख क़दम सँभल के

1121 2122 1121 2122 

इस्लाह के बाद ग़ज़ल

  

1

है ये इश्क़ की डगर तू ज़रा रख क़दम सँभल के

चला जाएगा वगरना तेरा चैन इस प चल के

2

न…

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Added by Rachna Bhatia on December 12, 2021 at 11:00am — 6 Comments

कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का

122 122 122 122 

कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का

वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का

सुधार

नज़र से महब्बत जताना किसी का

हँसाना किसी का रुलाना किसी का

भुलाओगे कैसे सताना किसी का

नहीं रोक पाई कभी चाहकर मैं

दबे पा ख़यालों में आना किसी का

है यह भी महब्बत का दस्तूर यारो

न दिल भूले जो दिल से जाना किसी का

बहुत कोशिशें कीं मनाने की फ़िर भी

न मुमकिन हुआ लौट आना किसी का

दिल ए…

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Added by Rachna Bhatia on December 9, 2021 at 11:30am — 19 Comments

ग़ज़ल-जय गान पर

2122 2122 2122 212

1

जब भी छाए अब्र मुश्किल के वतन की आन पर

खेले हैं तब तब हमारे तिफ़्ल अपनी जान पर

2

आज़मा ले लाख अपना रौब रुतबा शान पर

हो न पाएगा कभी हावी तू हिन्दुस्तान पर

3

हम नहीं होते परेशाँ धर्म से या ज़ात से

ख़ूँ जले अपना तो झूठे और बेईमान पर

4

माना हैं मतभेद भाषा वेष भूषा धर्म में

फ़ख़्र करते हैं प सब भारत के बढ़ते मान पर

5

एक दिन ऐसा भी "निर्मल" देखना तुम…

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Added by Rachna Bhatia on November 1, 2021 at 11:00am — 5 Comments

ग़ज़ल-ज़माने को बताना चाहे

2122 1122 1122 22 /112

1

शोर धड़कन का ज़माने को बताना चाहे

दिल करीब और करीब यार के आना चाहे

2

दिल की बैचेनी भी अब एक ठिकाना चाहे

थोड़ा ख़ुशियों के समंदर में नहाना चाहे

3

साथ जितना भी लिखा उसने तेरा मेरा सनम

ज़िन्दगी उतनी ही साँसों का तराना चाहे

4

ख़ुशबू बनकर मेरी साँसों में उतरने वाले

क्या तेरा दिल भी महक ऐसी न पाना चाहे

5

चंद अशआर महब्बत प सुना कर यह मन

बीच महफ़िल में तुम्हें…

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Added by Rachna Bhatia on October 26, 2021 at 9:16pm — 12 Comments

ग़ज़ल-घर बसाना था

2122 / 1212 / 22





1

दिल का रिश्ता यूँ भी निभाना था

फिर से रूठा ख़ुदा मनाना था

2

चार ईंटें टिका के निस्बत की

आदमीयत का घर बसाना था…

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Added by Rachna Bhatia on October 2, 2021 at 12:23pm — 7 Comments

ग़ज़ल-इश्क़ महब्बत धोखा था

22 22 22 2



1

आँख खुली तो जाना था

इश्क़ मुहब्बत धोका था

2

उधड़ी सीवन रिश्तों की

चुपके से वो सिलता था

3…

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Added by Rachna Bhatia on September 13, 2021 at 11:00am — 3 Comments

ग़ज़ल-मिलती दुआ है

1222/122

1

 हुआ वो ही ख़फ़ा है

किया जिसका भला है

2

ज़माने को पता है

तू मेरा आश्ना है

3…

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Added by Rachna Bhatia on September 3, 2021 at 11:04am — 6 Comments

ग़ज़ल- शिवाला लगा

122 122 122 12

1 तुझे जिसके लहज़े में ताना लगा

मुझे दिल से वो शख़्स सच्चा लगा

 2 ये मत पूछ क्या उसमें अच्छा लगा

 वो मासूम इक ज़िद्दी बच्चा लगा

3 तू सुन शोर पहले मेरे दिल का फिर

 बता क्यों तुझे मैं अकेला लगा

 4 बता वास्ता उससे रक्खूँ भी क्यों

 मुझे आदमी जब वो झूठा लगा

 5 थी कुछ बात या इश्क़ का था सरूर

हरिक चेहरा जो मुझको तेरा लगा

 6 मुहब्बत ही की है गुनह तो…

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Added by Rachna Bhatia on August 30, 2021 at 12:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल-गीत आशिक़ाना हो

2122 1212 22/112

 1

उसका जब मेरी कू में आना हो

उठ चुका ग़म का शामियाना हो

2

मिल रहा प्यार जब पुराना हो

लब प तब गीत आशिक़ाना हो

3

हिज्र की रात में वो आए जब

होटों पर वस्ल का तराना हो

4

ऐ ख़ुदा हर गरीब के घर में

पेट भरने को आब ओ दाना हो

5

टूटी कश्ती में बैठ कर कैसे

उस किनारे प अपना जाना हो

6

कह रहा है मरीज़-ए-इश्क़ मुझे

उसका दिल मेरा आशियाना…

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Added by Rachna Bhatia on August 18, 2021 at 1:20pm — 6 Comments

ग़ज़ल-तस्वीर है

2122 2122 212 

1

अपने रिश्ते की यही तस्वीर है

उसका मैं रांझा वो मेरी हीर है

2

पाँव में रस्मों की जो ज़ंजीर है 

मेरे दिल को देती हर पल पीर है

3

जाने किसकी शह में आ कर यार ने

सामने कर दी मेरे शमशीर है

4

हाथ की तहरीर पढ़कर तो बता 

रूठी क्यों मुझसे मेरी तक़दीर है 

5

होगी तेरे पास दौलत लाखों की 

अपनी तो तालीम ही जागीर है 

6

अब छिपाने से भी छिप सकती नहीं

आपकी आँखों में जो…

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Added by Rachna Bhatia on August 8, 2021 at 12:30pm — 4 Comments

ग़ज़ल-है कहाँ

2122 2122 2122 212

1

उनकी आँखों में उतर कर ख़ुद को देखा है कहाँ

हक़ अभी तक उनके दिल पर इतना अपना है कहाँ

2

आदतें यूँ तो मिलेंगी एक सी लोगों में पर

उनके दिल में एक सा एहसास होता है कहाँ

3

है लड़ाई ख़ुद से अपनी है बग़ावत ख़ुद ही से

बात इतनी सी ज़माना भी समझता है कहाँ

4

चारदीवारी में घर की साथ तो रहते हैं सब

ज़ाविया पर उनके दिल का एक जैसा है कहाँ

5

देख लिया गल कर पसीने में भी हमने…

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Added by Rachna Bhatia on July 31, 2021 at 11:21pm — 11 Comments

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