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Rajesh kumari's Blog – August 2014 Archive (4)

आइडिया (लघु कथा )

‘’बहुत खुश दिख रही हो लाजो” गाँव से आई लाजो की सहेली कनिया ने कहा|

“हाँ हाँ क्यूँ नहीं बेटा बहू काम पर चले जाते हैं नौकरानी सब  काम कर जाती है बस घर में महारानी की तरह रहती हूँ” लाजो ने जबाब दिया|

कुछ देर की शान्ति के बाद फिर लाजो बोली”ये सुख तेरा ही तो दिया हुआ है उस दिन न तू उस बुढ़िया से पिंड छुडाने का आइडिया देती तो आगे भी न जाने कितने सालों तक मुझे उसकी गंद  उठानी पड़ती और मेरा रोहित दादी की सेवा के लिए मुझे वहीँ सड़ने के लिए छोड़े रखता, नरक बनी हुई थी मेरी…

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Added by rajesh kumari on August 31, 2014 at 1:00pm — 18 Comments

ग़रीब के हाथ से निवाला न छीनिए (ग़ज़ल 'राज')

12122 12122 1212

कभी लबों तक पँहुचता प्याला न छीनिए

 ग़रीब के हाथ से निवाला न छीनिए  

 

यतीम का बचपना निराला न छीनिए

जमीन, दरगाह या शिवाला न छीनिए

 

बड़ी नहीं कोई चीज़ तहजीब से यहाँ      

नक़ाब, सिर पे ढका दुशाला न छीनिए

 

नसीब में क्या लिखा यहाँ कौन जानता          

किसी जवाँ दीप का उजाला न छीनिए

 

समान हक़ है मिला सभी को पढ़ाई का

गरीब बच्चों से  पाठ शाला न छीनिए 

 

जुड़े खुदा से…

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Added by rajesh kumari on August 26, 2014 at 5:00pm — 31 Comments

अगर तुम टूटने के दर्द को महसूस कर जाते (ग़ज़ल 'राज'

१२२२    १२२२    १२२२  १२२२

अगर तुम टूटने के दर्द को महसूस कर जाते

तो क्या खुद एक पल में टूटकर इतना बिखर जाते

 

रिदाएँ गर्द की जब तब हटाते आइनों से तुम

दिलों के फासले मिटते कई रिश्ते सँवर जाते

 

झुलसते जिस्म फसलों के उमड़ती प्यास धरती की

चिढ़ाते बेवफ़ा बादल इधर जाते उधर जाते

 

पहेली सी बने फिरते बड़े मदमस्त ये बादल

कहीं ख़ाली गरजते उफ़ कहीं हद से गुजर जाते

 

तुम्हारे झूठ के छाले लगे रिसने सफ़र…

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Added by rajesh kumari on August 19, 2014 at 9:18pm — 31 Comments

राखी (लघु कथा )

“भाभी, अगर कल तक मेरी राखी की पोस्ट आप तक नहीं पँहुची तो परसों मैं आपके यहाँ आ रही हूँ  भैया से कह देना ” कह कर रीना ने फोन रख दिया|

अगले दिन भाभी ने सुबह ११ बजे ही फोन करके कहा, "रीना राखी पहुँच गई है ”

"पर भाभी मैंने तो इस बार राखी पोस्ट ही नहीं की थी !!! "


(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by rajesh kumari on August 9, 2014 at 8:30pm — 58 Comments

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