For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारे देश के मौसम हमें वापस बुलाते हैं ( फिल्बदीह हिंदी ग़ज़ल/गीतिका 'राज ')

१२२२  १२२२   १२२२  १२२२

जहाँ श्री राम की मूरत वहीं सीता बिठाते हैं

जपें जो नाम राधा का वहीं घनश्याम आते हैं

 

करें पूजन हवन जिनका करें हम वंदना जिनकी

वही दिल में हमारे ज्ञान का दीपक जलाते हैं

 

लिए विश्वास के लंगर चलें जो पोत के नाविक

समंदर के थपेड़ों से नही वो डगमगाते हैं

 

पराये देश में जाकर भले दौलत कमाएँ हम

हमारे देश के मौसम हमें वापस बुलाते हैं

 

भरे हम  बैंक कितने भी मगर क्या बात गुल्लक की

वहीँ बचपन मिले सिक्के जहाँ भी खनखनाते हैं

 

विटप की छाँव में पलकर जहाँ सपने युवा होते

उसी को पंख आने पर परिंदे छोड़ जाते हैं

 

धुला सच्चे सलिल से जो भरी हो भावना निर्मल

उसी निःस्वार्थ अम्बर में सितारे जगमगाते  हैं

 

करे जो बात अब झुकके उसे समझें निरा दुर्बल

बहुत हैं मूर्ख दुनिया में हँसी उसकी उड़ाते हैं

 

अँधेरे में जहाँ छुपकर कहीं  संवेदना सोई

उठा अपने  कलम लेखक उसे फिर से जगाते हैं 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2016 at 9:54pm

आद० सुरेश कुमार कल्याण जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2016 at 9:54pm

प्रिय प्रतिभा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत- बहुत आभार आपका |

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 29, 2016 at 6:25pm
वाह वाह बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया राजेश कुमारी जी । बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by pratibha pande on August 29, 2016 at 9:27am

अँधेरे में जहाँ छुपकर कहीं  संवेदना सोई

उठा अपने  कलम लेखक उसे फिर से जगाते हैं ......  प्रेरक भावों से भरी ग़ज़ल   हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया राजेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 28, 2016 at 8:43pm

आद० समर भाई जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी ग़ज़ल पर दाद मिली मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया आपका|  

Comment by Samar kabeer on August 28, 2016 at 2:38pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत सुंदर अहसासात से सजी इस शानदार और मुरस्सा ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by Mahendra Kumar on August 27, 2016 at 8:52pm
इस ज्ञानवर्धन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश मैम, सादर!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 27, 2016 at 8:32pm

आद० महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल के सर्वप्रथम पाठक और दाद के लिए दिल से बहुत बहुत आभार | फिल्बदीह को तुरत फुरत भी  कहें तो चलेगा अर्थात दी हुई  बह्र पर कुछ मुक़र्रर वक़्त में ही पूरी ग़ज़ल कहनी होती है उस आयोजन को फिल्बदीह आयोजन कहते हैं | 

Comment by Mahendra Kumar on August 27, 2016 at 8:28pm
वाह! वाह!! वाह!!! किस शेर के तारीफ़ करूँ आदरणीया राजेश मैम सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं। सभी के लिए एक साथ दाद क़ुबूल फरमाएँ।

एक जिज्ञासा है, ये फ़िल्बबदीह ग़ज़ल क्या होती है? सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service