For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लंगडा मज़े में है (हास्य व्यंग ग़ज़ल 'राज')

राजा ये सोचता है कि प्यादा मज़े में है 
प्यादा ये सोचता है कि राजा मज़े में है

लंगड़ा ये सोचता है कि अंधा मज़े  में है 
अंधा ये सोचता है कि लंगड़ा मज़े में है

हर नाज़ नखरे दिल के उठाता है  ज़िस्म ये 
पर दिल ये सोचता है कि गुर्दा मज़े में है 

गुल के बिना वुजूद तो इसका भी कुछ नहीं 
पर सोचता गुलाब कि काँटा मज़े में है 

उस वक्त  चढ़ गई थी  हवाओं की त्योरियां 
जलता हुआ चिराग़ जो देखा मज़े में है 

वो उड़ गया कफ़स की सभी  तोड़ तीलियां 
सैयाद सोचता रहा तोता मज़े में है 

गुज़रा है कितने दर्द  से पैकर ये तब मिला 
पत्थर मगर ये सोचता हीरा मज़े में है 

क्या हाल कब्र का है ये मुर्दा ही जानता 
जिंदा मगर ये सोचता मुर्दा मज़े में है 

हर ज़ुल्म ठोकरों  का वो चुपचाप सह गया 
लेकिन ये आबला कहे  जूता मज़े में है

आये थे ख़ैरियत को मेरी पूछने मगर 
पल भर रुके चले गये सोचा मज़े में है
मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 22, 2019 at 11:43am

आद० फूल सिंह जी हार्दिक आभार बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 22, 2019 at 11:42am

आद० नरेन्द्र सिंह जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 2:19pm

वक्त को उजागर करती सूंदर रचना

Comment by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 2:18pm

बहुत सूंदर बधाई 

Comment by narendrasinh chauhan on December 10, 2018 at 12:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।खूब सुन्दर रचना ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 10, 2018 at 11:36am

आद० डॉ. आशुतोष जी प्रणाम .आपको ये मजाहिया गज़ल पसंद आई दिल से बेहद शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 10, 2018 at 11:35am

आद० तेजवीर सिंह जी ,आपको ये मजाहिया गज़ल पसंद आई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2018 at 4:56pm

आदरणीया राजेश जी आज बहुत दिनों बाद मंच पर आना हुआ और आते ही आपकी इस शानदार मजेदार ग़ज़ल को पढने का सुअवसर मिला इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2018 at 6:55pm

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन, बेहतरीन गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2018 at 2:11pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गज़ल।

गुल के बिना वुजूद तो इसका भी कुछ नहीं 
पर सोचता गुलाब कि काँटा मज़े में है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
10 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
18 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service