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दिनेश कुमार's Blog – March 2024 Archive (3)

ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )

221--2121--1221--212

दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही

जी कर भी क्या करोगे जो इज़्ज़त नहीं रही

झूठों की सल्तनत में हुआ सच का सर क़लम 

ऐसा भी सब में कहने की हिम्मत नहीं रही

जो फ़ाइलों में पुल था बना, कब का ढह गया

सरकारी काम काज में बरक़त नहीं रही

संसार लेन देन का बाज़ार बन गया

रिश्तों में अब लगाव की क़ीमत नहीं रही

देखो तो काम एक भी हमने कहाँ किया

पूछो तो एक पल की भी फ़ुर्सत नहीं…

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Added by दिनेश कुमार on March 12, 2024 at 5:16am — 1 Comment

ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )

1212--1122--1212--22

अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता

ग़ज़ल सुनो! मैं लतीफ़े सुना नहीं सकता

ग़मों के दौर में जो मुस्कुरा नहीं सकता

वो ज़िंदगी से यक़ीनन निभा नहीं सकता

ख़ुद अपने सीने पे ख़ंजर चला नहीं सकता

हर एक दोस्त को मैं आज़मा नहीं सकता 

वो जिसकी ताल ही है मेरी धड़कनों का सबब

वही तराना-ए-उल्फ़त मैं गा नहीं सकता 

वो आसमाँ का सितारा है, मैं ज़मीं का परिंद

मैं ख़्वाब में भी क़रीब…

Continue

Added by दिनेश कुमार on March 10, 2024 at 7:10am — 2 Comments

ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( आप क्यूँ दूर दूर हैं हम से )

2122--1212--22

वोदका, व्हिस्की और कभी रम से

दिल को निस्बत है क़िस्सा ए ग़म से

ख़्वाब झरते हैं चश्मे पुर-नम से

हम बहलते हैं अपने ही ग़म से

उसकी मर्ज़ी ही अपनी मर्ज़ी है 

क्यूँ गिला ज़िंदगी को फिर हम से 

छूट जाता जो मोह अपनों का

बुद्ध बन जाते हम भी गौतम से

कब तलक देखें हम तेरी तस्वीर

प्यास बुझती नहीं है शबनम से

शाम होने लगी है जीवन की

रंग उड़ने लगे हैं मौसम…

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Added by दिनेश कुमार on March 9, 2024 at 8:30am — No Comments

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Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

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