ककहरा
क- काले दिल कपड़े सफ़ेद
ख- खादी की नियत में छेद
ग- गद्दार देश को बेच रहे
घ- घर को रहे भालो से भेद
इसके बाद कुछ नहीं
मानो हुआ कुछ नहीं…
च- चिड़िया थी जो सोने की
छ- छलनी है आतंक की गोली से
ज- जहां तहां है ख़ून खराबा
झ- झगड़े, जात-धर्म की बोली से
इसके बाद कुछ नहीं
मानो हुआ कुछ नहीं…
ट - टंगी है आबरू चौराहे पे माँ की
ठ - ठगी सी आंसू बहाती है
ड - डरी हुयी है बलात्कारियों से
ढ - ढंग से जी नहीं…
Added by Ranveer Pratap Singh on January 11, 2013 at 11:30pm — 11 Comments
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