For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

नज़र से उसकी नज़र मिल गयी

नज़र को जैसे मिला नज़राना
नज़र को उसकी नज़र भर देखा 
नज़र नज़र में बना दीवाना 
दीवाना दीवाना मैं उसकी नज़र का दीवाना....
छत के गलियारे में वो
कपड़े सुखाने को आई थी
केश भी थे भीगे भीगे
कमर भी कुछ बलखाई थी
देखा उसने मुझको पहले
फिर वो कुछ शरमाई थी
भा गया दिल को मेरे उसका ये पलकें झपकाना 
दीवाना दीवाना मैं उसकी नज़र का दीवाना...
पहले भेजा फ्होल उसे
बाद में फिर इज़हार किया 
दिल में तो थी हाँ उसके 
पर शब्दों में इनकार किया 
कहा जो मैंने ज़हर दो मुझे 
लैब को हाथो से टार दिया
बहुत ही प्यारा लगा मुझे उसका ये बातें बनाना 
दीवाना दीवाना मैं उसकी नज़र का दीवाना...
घर से छिपकर, मुंह ढककर 
वो मुझसे मिलने आती थी 
काँधे पर सिर रखकर 
वो बड़ी देर बतयाती थी 
अरज करून जो अधर छूने की 
बात मेरी टरकाती थी 
फिर कहती झट खड़ी होके
मैं जाती हूँ कल फिर आना 
दीवाना दीवाना मैं उसकी नज़र का दीवाना... 
--- रणवीर प्रताप सिंह ---
 

Views: 297

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ranveer Pratap Singh on November 2, 2012 at 9:41pm

@ Laxman Prasad Ladiwala bahut bahut dhanywaad sir... prayaasrat hoon achcha likhne ke liye

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 2, 2012 at 11:52am

दीवाना दीवाना तू उसकी नज़र का दीवाना.........दीवाना दीवाना पर मै हुआ तेरी कलम का दीवाना                                                  बढ़िया अभिव्यक्ति बधाई रणवीर प्रताप सिंह जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service