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नींद चीज है बड़ी उंघते रहिए
बेफिक्री में आंखे मूंदते रहिए
आग लगती है लगे हमको क्या
आम दशहरी जनाब चूसते रहिए
मौका मिले तो तंज कर लो
नहीं तो मस्ती में झूमते रहिए
आसां नहीं है अहम को तोड़ना
दुनिया अजब है घूमते रहिए
अदाकार आप खूब है जनाब
सूत्रधार की भूमिका निभाते रहिए
बातें विक्षिप्त की है आपसे बाहर
हंसी चेहरे पर कूटिल दिखाते रहिए
"मौलिक…
Posted on August 11, 2013 at 8:00pm — 6 Comments
Posted on April 23, 2011 at 8:19pm — 3 Comments
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Comment Wall (8 comments)
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aapke mitron me shamil hona mere liye harsh ka bishay hai ..aap sabhee ke margdarshan se kavya yatra nirantar naye sopaan taye karegee ..saadar
भाई रौशनजी ,नमस्कार !
पहले तो आपको आपके इस विचित्र तखल्लुस [उपनाम] 'विक्षिप्त ' के चयन के लिए साश्चर्य बधाई देता हूँ,इतना तो स्पष्ट है कि जिनकी सोंच साफ़ होती है वहीं स्वेम को विचित्र घोषित करते हैं ,सामान्य के बूते का नहीं और फिर मित्रता के आमंत्रण के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ .पुनः प्रणाम एवं शुभरात्री .
आपका हार्दिक अभिनन्दन है। मित्रता से सौभाग्य का उदय होता है। आपकी मित्रता हमारे लिए दिव्य औषधि के समान है। सादर
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…

अपने मित्रो और परिचितों को ओपन बुक्स ऑनलाइन से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक करे...सदस्य टीम प्रबंधनRana Pratap Singh said…