For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार 92 वां आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

22 दिसंबर 2018 दिन शनिवार से 23 दिसंबर 2018 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

हरिगीतिका छंद और शक्ति छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

हरिगीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  22 दिसंबर 2018 दिन शनिवार से 23 दिसंबर 2018 दिन रविवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3769

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

शक्ति छंद

चढ़ी भोर, बकरी उठी गाँव की
मगर घास गायब मिली ठाँव की।।
बड़ी भूख से वो परेशान थी
मिलेगा कहाँ भोज अनजान थी।।

तभी दिख गया इक हरा पेड़ ढब
मगर   दूर   पत्ते   लगे  थे  गजब।।
चरूँ पात कैसे बहुत सोचती
रही वो इधर से उधर देखती।।

नजर झट गयी तब बँधी भैंस पर
करेगी मदद वो यही आस कर।।
गयी पास उसके सहज चाल से
कहा मर रही भूख के ज्वाल से।।

सुना भैंस ने तो दया आ गयी
खड़ी वो हुई और सीढ़ी बनी।।
चढ़ी भैंस की पीठ पर तब अजा
हरे  पात  खाने  लगी  ले  मजा।।


मौलिक/अप्रकाशित

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,प्रदत चित्र को सार्थक करते अच्छे शक्तिछन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'चढ़ी भैंस की पीठ पर तब अजा
हरे  पात  खाने  लगी  ले  मजा'

इस पद में 'अजा' के साथ "मज़ा" की तुकांतता सहीह नहीं है,देखियेगा ।

//इस पद में 'अजा' के साथ "मज़ा" की तुकांतता सहीह नहीं है,देखियेगा //

आदरणीय समर साहब, यह एक अनावश्यक सुझाव प्रतीत हुआ है. इस तरह के सुझाव भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं. 

जानकारी का व्यापक होना और इस हेतु किसी पर अनावश्यक दबाव बनाना दोनों दो चीज़ें हैं. 

विश्वास है, आप इस फ़र्क़ को समझेंगे. 

सादर

जनाब सौरभ पाण्डे जी,मैंने भी महज़ जानकारी दी है,दबाव नहीं डाला है ।

आदरणीय समर साहब, फिर ऐसी किसी जानकारी का अर्थ क्या हुआ ? यह तो भ्रमकारी इंगित हुआ न ? जिसे सोदाहरण न समझा सकें ऐसी किसी सलाह का निर्वहन भला कैसे होगा ? 

मेरा इसी को लेकर निवेदन है.

आदरणीय लक्ष्मण भाई

वाह !! चित्र को सहजता से विस्तारपूर्वक छंदों में ढाल गए। हृदय से बधाई

चित्र आधारित बहुत ही रोचक रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब।

आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी, आपकी सहभागिता का हार्दिक स्वागत है. 

पहला बंद आपके कथ्य बुनने के कौशल का द्योतक है.  बहुत खूब ! 

तभी दिख गया इक हरा पेड़ ढब ...  इस पद का विन्यास बहुत प्रभावी नहीं बन पड़ा है. फिर भी आपकी प्रस्तुति का कथ्य और प्रस्तुतीकरण अनुकरणीय है. प्रदत्त चित्र अवश्य ही प्रभावी ढंग से परिभाषित हुआ है. 
शुभ-शुभ

बकरी की व्यथा और भैंस की दया का सुन्दर चित्रण हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी चित्रानुरूप बहुत उम्दा सृजन ,सुंदर लेखनी के लिए बधाई

हरिगीतिका छन्द (आशु प्रयास)

यह पुष्प प्यारा बाग़ में हर, दीखता खिलता हमें
सहयोग ऐसा भाव है जो, कुदरती मिलता हमें
गह ले मनुज इस भाव को है, प्रार्थना इतनी महज
हो तृण कि या फिर जीव हो सब, जानते इसको सहज।

जब तज रहे पशुता सभी पशु, मन दया से पूर्ण कर
इक दूसरे के ही लिए वे, जी रहे हैं भूमि पर
अब सोच मानव तू ज़रा क्या, सच मनुज-सा है यहाँ
जो चाहिए गुण पास तेरे, बोल वे जाते कहाँ?

मौलिक अप्रकाशित

जनाब सतविन्द्र कुमार 'राणा' जी आदाब,प्रदत चित्र पर अच्छे हरिगीतिका छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

' गह ले मनुज इस भाव को है, प्रार्थना इतनी महज
हो तृण कि या फिर जीव हो सब, जानते इसको सहज'

इस पद में 'महज़' के साथ 'सहज' की तुकांतता उचित नहीं है,देखियेगा ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
7 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service