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बच्चो आओ, तुम्हें बतायें -
सीखी चिड़िया क्या बन्दर से !

किसी पेड़ पर चिड़िया का था
एक घोंसला छोटा-सुन्दर
चीं-चीं करते बच्चे उसके
साफ-सफाई बहुत वहाँ पर !   
दूर कहीं से बन्दर आया
देख चकित था इतने भर से !!

चिड़िया बोली, ’आओ भाई’  
लगी पूछने पता-ठिकाना
बेघर बन्दर जल-भुन बैठा
समझा, चिड़िया मारे ताना -
’चिड़िया को औकात बताऊँ
ज़हर भरी है यह अंदर से..’ !!

बादल आये तभी घनेरे
लगा बरसने झमझम पानी
बच्चों के संग छिपी घोंसले
दुबक गयी फिर चिड़िया रानी
लेकिन बन्दर रहा भीगता
उबल रहा था वह भीतर से.. !!

देखा आव न ताव झपट कर
बन्दर जा पहुँचा उस डाली
एक झटक में नोंच घोंसला
उसने खुन्नस खूब निकाली
तिनका-तिनका बिखर गया था  
उजड़ गया था साया सर से
बच्चों आओ तुम्हें बतायें
सीखी चिड़िया क्या बन्दर से

सही कहा है कभी मूर्ख से
बिना ज़रूरत बात न करना
करो मित्रता, सोच-समझ कर
डाह करे जो हाथ न धरना  
समझ गयी ये चिड़िया भी सब
बेघर आज हुई जब घर से
बच्चों आओ तुम्हें बतायें
सीखी चिड़िया क्या बन्दर से
*************************************
(मौलिक और अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

बहुत  सही सार्थक सन्देश देती हुई रचना आदरणीय  सौरभ सर , कहानियों को कविताओं में ढालकर बच्चों को सीख देना बड़ा रुचिकर लगता है सभी को क्या बच्चे क्या बड़े. एक मूर्ख  मित्र से एक बुद्धिमान शत्रु ज्यादा श्रेयस्कर है, इस सन्देश को बड़ी सहजता से बच्चों तक पहुचाती एक प्यारी रचना 

आपको मेरा बालगीत रुचिकर लगा यह जानकर बहुत अच्छा लगा आदरणीय सरस जी.
इस उत्साहवर्द्धन केलिए सादर धन्यवाद

बाल कथा को गीत में बहुत ही सुन्दरता से ढाला है जिसमे एक सार्थक सन्देश भी दिया है बहुत- बहुत बधाई आ० सौरभ जी इस सुन्दर बालगीत के लिए अपनी नातिनों के लिए इसे पोस्ट करुँगी |

अनुमोदन हेतु सादर धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारीजी

अति सुन्दर बाल-गीत ! अति सार्थक सन्देश ! हार्दिक बधाई, आदरणीय सौरभ भाई।

सादर धन्यवाद आदरणीय विजय भाईजी

परम आ. सौरभ जी सादर

      बाल गीत में कहानी का  प्रस्तुतिकरण बहुत ही रुचिकर लगा, बाल जगत को सार्थक सन्देश देते इस  सुन्दर बालगीत हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय. 

आदरणीय सत्यनारायनजी, इस बालगीत-कथा के साथ कुछ और बाल-कविताओं का प्रसारण आकाशवाणी इलाहाबाद से इसी 28 जून को हुआ. मैं इलाहाबाद में तब न होने के कारण स्वयं न सुन सका.
आपको प्रस्तुति पसंद आयी, रचनाकर्म सफल हुआ.

आदरणीय सौरभ सर, बाल-कथा-गीत बहुत सुन्दर हुआ है और सन्देश देती पंक्तियाँ तो बहुत ही सुन्दर !

इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई 

आदरणीय मिथिलेश भाईजी, इस रचना को अनुमोदन करने केलिए धन्यवाद ..

इस बालगीत-कथा के साथ कुछ और बाल-कविताओं का प्रसारण आकाशवाणी इलाहाबाद से इसी 28 जून को हुआ था. मैं इलाहाबाद में तब न होने के कारण स्वयं न सुन सका.


सार्थक सन्देश लिए! बेहद उम्दा बाल गीत! आ० सौरभ सर नमन!

जान गोरखपुरीजी, आपको बालगीत-कथा पसंद आ गयी, यह एक रचनाकार के तौर पर मेरे लिए भी सम्मान की बात है.

हार्दिक धन्यवाद

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