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बाल साहित्य Discussions (213)

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Featured Discussions

सदस्य टीम प्रबंधन

अधूरी कहानी को पूरा कीजिये.....

प्रिय साथियो , बच्चों की अनगिन बातें और उनके मन में उठते हज़ारों सवाल ! जिन्हें सुलझा पाना आसान नहीं.. आज के इस प्रतिस्पर्धा के तकनीकी युग…

Started by Dr.Prachi SinghLatest Reply

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सोमू का संकल्प (बाल-कथा)

सोमू तड़के ही उठ गया था। वैसे तो वह रोज ही सूरज उगने के पहले उठ जाता था, अपने नित्यकार्य से निवृत्त होकर स्कूल जाता था। पर आज तो छुट्टी थी,…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Sep 28, 2023

#लावणी छन्द,पर्यायवाची शब्द याद करने का आसान उपाय

फूल,कुसुम या पुष्प,सुमन हो,चन्दन,मलयज,मलयोद्भव।आराधन,पूजा,उपासना,कृष्ण,मुरारी,मधु,माधव। कृपा,दया,अनुग्रह,करुणा की,चाह,कामना,अभिलाषा।अम्बा,द…

Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

1 Mar 13, 2023
Reply by अजय गुप्ता 'अजेय

कुकुभ छन्द,बादल दादा-दादी जैसे

बाल-कविता श्वेत,सुनहरे,काले बादल,आसमान पर उड़ते हैं।दादा-दादी के केशों से,मुझे दिखाई पड़ते हैं।। मन करता बादल मुट्ठी में,भरकर अपने सहलाऊँ।दा…

Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

0 Jun 4, 2021

करो उजागर प्रतिभा अपनी

प्रतिभा छुपी हुई है सबमें,करो उजागर,अथाह ज्ञान,गुण, शौर्य समाहित,तुम हो सागर। डरकर,छुपकर,बन संकोची,रहते क्यूँ हो?मन पर निर्बलता की चोटें,सह…

Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

0 May 31, 2021

अब मै नहीं चिढूंगा

बाल कहानी *अब मैं नहीं चिढूंगा* .. डॉ सोमनाथ यादव "सोम" आज फिर कक्षा में सहपाठियों ने अनिल की हंसी उड़ाई,अनिल का कसूर इतना ही था कि आज वह…

Started by dr. somnath yadav

3 Dec 24, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

सदस्य टीम प्रबंधन

चिड़िया रानी चिड़िया रानी

चिड़िया रानी चिड़िया रानी, लगती हो तुम बड़ी सयानी।मुझको भी तो बतलाओ ना, बातें ढेरों नई-पुरानी । सुबह-सुबह खिड़की पर आकरमुझको रोज़ जगाती हो,बाते…

Started by Dr.Prachi Singh

3 Sep 29, 2020
Reply by Deepalee Thakur

अनूठा जन्मदिन ( बाल कहानी )

अनूठा जन्मदिन *************** पाखी आज बहुत खुश थी । स्कूल से आई और बैग एक ओर पटककर सीधे रसोई में जाकर चिल्लाई - " माँ ... माँ ..." " क्या…

Started by shashi bansal goyal

1 Aug 17, 2020
Reply by आशीष यादव

जुगत (बाल-लघुकथा/बाल-कहानी)

गुड्डू, गोविंद और गोपी तीनों अलग अलग कक्षाओं के थे और तीनों दोस्त भी नहीं थे। स्कूल में आज फिर वे तीनों न तो मध्यान्ह अवकाश में अपना मनपसंद…

Started by Sheikh Shahzad Usmani

1 May 12, 2020
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

आधा चाँद

माँ एक चाँद ला दोआधा ही सही पर ला दो चाँद के संग मैं खेलूंगा गेंद बनाकर इसे खेलूंगाअपने हाथो में इसे पकडूँगा आसमान से यह बुलाता हैंमेरे दि…

Started by kalpana bhatt

3 Jan 16, 2020
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

चुन्नी की बाजीजान (बाल-कविता)

कबूतर बाजी आ गईंबालकनी पर बैठ गईं। लू-लपटें चल रहींआसरा वो ढूंढ रहीं। कबूतर बाजी अंदर आईंफ्लैट पूरा जब घूम आईं। मिला न कोई अड्डा मन कापं…

Started by Sheikh Shahzad Usmani

0 Jun 3, 2019

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
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अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
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"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
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"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
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"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
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