For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-66 (विषय: "देश")

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-66 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-66
विषय: "देश"
अवधि : 29-09-2020 से 30-09-2020
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3635

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक-66 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

             नागरिक

' नागरिक...जी हां नागरिक ही कहा मैंने ', जर्जर भिखारी ने कहा।
'यहां क्या कर रहे हो?' सूट बूट धारी लोगों ने उसे घुड़का।
' अपना सच ढूंढ रहा हूं ।'
' मतलब?'
' नहीं समझे?'
' नहीं।समझा दो।'
' सच यानी अपने यहां का होने का प्रमाण साहिब।'
' तुम यहीं के हो?'
' पीढ़ियां गुजर गईं यहीं।'
' फिर प्रमाण क्या?'
' अपने हाकिमों को दिखाना होगा न।वरना कहां भीख मांगूंगा?'
' तुम्हारा मतलब भीख मांगने के लाइसेंस से है क्या?'
' हे हे हे...नहीं समझे फिर से।'
' ऐं..? सूटवाले बुदबुदाए।
' मतलब यहां का होने से है।भीख तो तुम भी मांग रहे हो।'
' क्या?' गुस्से में सवाल किया गया।
' भिखारी कभी गुस्सा नहीं होते।तुम कागज के नए टुकड़ों पर इतरा रहे हो,जो तुमलोगों ने किसी तरह हासिल कर लिए हैं।'
' और तुम?'
' मैं अपने पुश्तैनी काग़ज़ात टटोल रहा हूं,अपने बाप दादा की भीख वाली झोलियों में।'
' तुम पुश्तैनी भिखारी... बेगर हो?'
' जैसे तुम सब खानदानी भगोड़े हो।'
' क्या?'
' हां।झमन सिंह का नामी गिरामी परिवार परंपराओं का निर्वाह करता हुआ सड़क पर आ गया है।'
' कौन झमन?'
' झमन सिंह,मेरे दादा थे।जमीन जायदाद थी।खेती बारी करते हुए कर्ज में दबते गए।जमीन रेहन हुईं,फिर बैनामा।बची खुची कुछ जमीन भगोड़ों के भेंट हो गई।परिवार सड़क पर आ गया।'
' तुम?'
' गुमान सिंह हूं, झमन सिंह का बेटा।बी ए किया है,आर्ट से।नौकरी नहीं हुई।'
' हम लंबे अरसे से यहां रह रहे हैं।'
' और हम यहीं के है।फ़र्क है कि तुमलोगों के चलते हमलोग भिखारी हो गए।'
' ज्यादा मत बोलो।'
' अभी बोलने को और भी है।जरा धैर्य रखो भगोड़ो! कौन ठिकाना हमारी जमीन तुम्हारे पास से निकले।'
फिर वह भिखारी अपनी पोटलियों में जल्दी जल्दी कुछ तलाशने लगा।
"मौलिक व अप्रकाशित"

आदाब। गोष्ठी का बढ़िया आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। रचना के तीन भाग आरंभिक, मध्य व अंतिम पृथकत: क़ाबिले ग़ौर हैं। आरंभिक भाग व संवाद भिखारियों पर केंद्रित कुछ लघुकथाओं का स्मरण करा देती हैं। मध्य भाग विषयांतर्गत देश की नागरिकता संबंधित दस्तावेजों को जुटाने की जद्दोजहद और तंज लिये हुए है। अंतिम भाग 'भगोड़ों' पर केंद्रित व तंजदार है। इस तरह रचना में तीनों भागों में प्रवाह और विषय 'नागरिक' पर तो है, लेकिन लगता है कि रचना अभी और समय या सम्पादन माँग रही है मेरे पाठकीय दृष्टिकोण मात्र से। सादर।

आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।

सम-सामयिक विषय पर एक अच्छी लघुकथा कही ही आ० मनन कुमार सिंह जीl यह तो बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी विशाल बरगद से कोई प्रवासी पक्षी उसका बर्थ सर्टिफिकेट मांग रहा होl मेरे विचार में लघुकथा की पहली पंक्ति अनावश्यक है, पूरी बात दूसरी पंक्ति से बिलकुल साफ़-साफ़ पता चल रही थीl इस प्रभावशाली लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित हैl

लघुकथा को मान बख्शने के लिए आपका आभार आदरणीय योगराज जी।

नमस्कार आदरणीय मनन कुमार सिंह जी | गोष्ठी का आगाज़ आपकी  लघुकथा से हुआ है,  इस हेतु बधाई स्वीकार करें | संवाद शैली में लिखी हुई आपकी यह लघुकथा विषयानुरूप हुई है, कथानक सुन्दर है, शीर्षक भी सटीक है| बाकि बातें शहजाद भाई और आदरणीय योगराज सर ने कह ही दी है ...| इस लघुकथा हेतु बधाई स्वीकार करें | 

एक बेहतरीन समसामयिक लघुकथा से लघुकथा गोष्ठी का आगाज करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

आपका आभार आदरणीय तेज वीरजी। 

विचारोत्तेजक लघुकथा।किन्तु प्रथम पंक्ति अनावश्यक लग रही है या फिर इसमें बदलाव किया जाए तो मुझे लगता है यह ज्यादा प्रभावी रहेगी।

अपनी ढपली अपना राग  - लघुकथा  –

बिहार के चुनाव की घोषणा होते ही हर गली हर चौराहे के नुक्कड़ पर चाय की दुकानों पर छुटभैये नेताओं का जमावड़ा शुरू हो गया। हमारे मुहल्ले की चाय की टापरी पर भी काफ़ी चहल पहल थी।गर्मागर्म चाय के साथ  सरकार के काम काज पर भी धुआंधार बहस चालू थीं।

आज की बहस का मुद्दा था गिरती जी डी पी।सरकारी खेमे के नेताजी उसके पक्ष में दलीलें दे रहे थे। और विपक्षी नेताजी उनकी दलीलों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे।कोई भी किसी से सहमत नहीं था। बे सिर पैर के तर्क दे रहे थे।

चाय वाला एक रिटायर बुजुर्ग था। उनकी इस बहस बाजी से वह भी दुखी था। एक चाय पीते थे और घंटों बैंचें घेरे रहते थे।बहुत से ग्राहक तो बाहर से ही लौट जाते थे।कुछ उधार वाले ग्राहक तो बाहर ही खड़े खड़े चाय पीकर चल देते।

बहस का कोई निचोड़ निकलते न देख सरकारी पक्ष वाले नेता जी ने आखिरी तीर चलाया,"सुनो गुरू जब तक तुम्हारी आँखों पर ये विपक्ष का चश्मा लगा है, तुम्हें हमारी बात गलत ही लगेगी।"

"क्या यार तुम भी ऊल जलूल बातें करते हो।ये भी कोई तर्क है?"

उसी समय चाय वाले बुजुर्ग खाली कप उठाने आये।"

अच्छा बाबा आप बताओ। आप तो आज़ादी से पहले से हो। क्या हमारा चश्मे वाला तर्क गलत है?"

"बेटा, तुम लोगों के पेट भरे हैं अतः ये बातें सुहाती हैं। मेरी उम्र पिचहत्तर साल है।दो वक्त की रोटी के लिये सुबह पाँच बजे से रात को ग्यारह बजे तक खटता हूँ।मेरी जगह एक दिन खड़े रह कर देखो।सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे।"

“लेकिन इस उम्र में आप क्यों इतनी मेहनत करते हो ? और कोई नहीं है क्या परिवार में ? मेरा मतलब है आपकी औलाद।“

“था एक बेटा।बी एस एफ़ में सिपाही था। पुलवामा बम ब्लास्ट में मारा गया।अभी तक तो सरकार से केवल आश्वासन ही मिले। अब आप बताओ मैं कौनसा चश्मा लगाऊँ ?“

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

आदाब। वाह 1- विपक्ष का चश्मा, 2- चश्मे वाला तर्क और 3- कौन सा चश्मा लगाऊँ? ... बस, सबके साथ... अपनी ढपली, अपना राग। बहुत ही समसामयिक बेहतरीन यथार्थपूर्ण विचारोत्तेजक तंजदार रचना हेतु हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। हार्दिक बधाई। // "बिहार......." // तक सीमित न रखकर उस शब्द के स्थान पर यदि ऐसा कुछ लिखें, तो? -- // देश के जिस बहुचर्चित और विवादित राज्य के चुनावों की देशवासियों और नेताओं की बहुचर्चित प्रतीक्षा विवादित थी, उस राज्य के चुनावों की घोषणा होते ही.....//

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
20 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service