आदरणीय साथिओ,
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बहुत ही बढ़िया विषय पर उम्दा रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी सर
लघुकथा -राजनीति (इतिहास )
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मास्टर शिव प्रसाद क्लास में इतिहास पढ़ाते हुए बच्चों से बोले:
"बच्चों हमें आज़ादी इतनी आसानी से नहीं मिली ,इसके लिए हिंदुओं और मुसलमानों ने एक साथ मिलकर अँग्रेज़ों के ज़ुल्म का सामना किया और अपनी जान की क़ुर्बानियाँ दीं "
एक बच्चे ने सवाल किया:
"मास्टर जी अब तो हम आज़ाद हैं ,फिर भी देश में ज़ात पात और धार्मिक फ़साद हो रहे हैं ,भाई चारा ख़त्म हो रहा है , एसा क्यूँ है ?"
मास्टर जी ने जवाब में कहा:
"हमारे रहनुमाओं को शायद आज़ादी रास नहीं आ रही है , इसी लिए ज़ात पात और धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है "
दूसरे बच्चे ने पूछा:
"अगर एसा चलता रहा तो हमारी आपसी लड़ाई का फ़ायदा अँग्रेज़ों की तरह कोई दूसरा उठा सकता है ,हम फिर गुलाम हो सकते हैं "
मास्टर जी ने जवाब दिया:
"आज कल के रहनुमाओं को सिर्फ़ कुर्सी की फ़िक्र है ,देश की नहीं "
पीछे से तीसरा बच्चा बोल पड़ा:
"आगे आने वाली पीढ़ियाँ हमारे बारे में क्या सोचेंगी "
मास्टर जी उदास मन से कहने लगे:
"मैं आज जो गर्व से तुम्हें बुज़ुर्गों के इतिहास के बारे में बता रहा हूँ ,आने वाली पीढ़ी इस दौर के इतिहास को पढ़ कर यही कहेगी कि कितने ख़ुद ग़र्ज़ और बे वक़ूफ़ लोग थे जो आज़ादी की धरोहर को संभाल नहीं पाए "
(मौलिक व अप्रकाशित )
आद0 तस्दीक अहमद खान साहिब सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर गम्भीर और विचारोत्तेजक लघुकथा कही आपने, बहुत बहुत बधाई आपको। सादर
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब , लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
बहुत ही लाजवाब लघुकथा कही है आ० तस्दीक अहमद खान साहिब. बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया आजकल जो हमारे मुल्क में चल रहा है, इसे पढ़कर हमारी अगली पीढियां केवल हम पर लानत ही डालेंगी. इस खूबसूरत लघुकथा हेतु मेरी दिली मुबारकबाद स्वीकार करें.
मुहतरम जनाब योगराज साहिब , आपके आज़माइशी पैमाने पर लघुकथा खरी उतर गई मेरा लिखना सार्थक हो गया , आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
आदरणीय तस्दीक अहमद भाई जी इतिहास विषय पर आपकी ये गम्भीर प्रस्तुति सहज ही सुन्दर और मंथन योग्य बनी है. मेरी ओर से इस रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई भाई जी.
जनाब वीरेन्द्र वीर साहिब ,लघुकथा में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
बहुत ही गंभीर , विचारोत्तेजक और प्रभावशाली लघुकथा के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।आज की ओछी राजनीति को इतिहास से जोड़कर अच्छी लघुकथा लिखी है आपने।बेहतरीन प्रस्तुति।
मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,लघुकथा में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,लघुकथा पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
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