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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-144

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 144वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब राज़ इलाहाबादी साहब की गजल से लिया गया है|

" ऐ मेरी आँख के आँसू तेरी क़ीमत क्या है "

    2122                  1122                1122                 22        

 

     फ़ाइलातुन          फ़इलातुन           फ़इलातुन            फ़ेलुन

बह्र: रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़

 

रदीफ़ :-  क्या है

काफिया :- अत(किस्मत, ज़रूरत, फितरत, लज़्ज़त, इज़्ज़त, कीमत, हक़ीकत, कयामत आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 24 जून दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 25 जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

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मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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आदरणीय बहुत बहुत आभार आपका संज्ञान लेने के लिए

सादर

आदरणीय चेतन प्रकाश जी अच्छी ग़ज़ल हुई बहुत-बहुत बधाइयां।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस शैर में कुछ दोष है क्योंकि मिश्रा ऊला और मिश्रा सानी दोनों मैं अंतिम शब्द एक ही है कृपया देखिएगा।

जोश में होश न खो तू अभी मुश्किल वक्त है

होशियारी से क़दम आज उठा लत क्या है  

वाकी गुणीजन बताएंगे। 

आभार। 

आ. भाई अमित कुमार  'अमित' किसी शे'र  के दोनों मिसरों, ऊला  और सानी में पूरक क्रिया , उक्त  शे'र  में " है " आने  से  तकाबुले रदीफ़ , जिसकी ओर आप संकेत करते  प्रतीत होते  हैं, बन्धु,  नहीं होगा । गज़ल का रदीफ़ , कुल, "क्या  है " न कि मात्र " है " ।

धन्यवाद आदरणीय

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, काफी बड़ी एवं सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

आफरणीय चेतन जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। अमित जी की टिप्पणी से मैं सहमत हूँ। 

आ. आपने शायद, अमित जी को दिया, मेरा प्रत्युत्तर नहीं पढ़ा ।

आ0 चेतन प्रकाश साहब अच्छी ग़ज़ल हुई । आपको हार्दिक बधाई ।

2122 1122 1122 22


आपके दिल को पता है कि हक़ीक़त क्या है
सारी दुनिया को बताने की जरूरत क्या है।1

दोस्त बनकर ही यहाँ लोग दग़ा देते हैं
दोस्ती कैसे समझ पाएगी फ़ितरत क्या है।2

अग्निवीरों के लिए योजना लाए ऐसी
कोई समझा नहीं सरकार की नीयत क्या है।3

सुब्ह ग़ज़लों से हुई शाम तलक गाते रहे
जिसने देखा हमें कहता रहा ये लत क्या है।4

आपने घर पे चलाए हैं बड़े बुलडोज़र
देख लीजे ज़रा बरसात में हालत क्या है।5

दिल की हसरत है मिले तुझसे मुहब्बत मुझको
इक ज़रा पूछ ही लेते मेरी चाहत क्या है6

दाद मिलती जो ग़ज़ल को "रिया" मिलता है सुकूँ
क्यों कहीं और ये मिलती नहीं राहत क्या है।7

गिरह-


ज़िन्दगी ने तो निचोड़ा है लहू तक मेरा
"ए मेरे आँख के आँसू तेरी कीमत क्या है"

"मौलिक व अप्रकाशित"

आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गिरह के साथ अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

आदरणीय बहुत शुक्रिया आपका

सादर

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आवश्यक सूचना:-

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