For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-133

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 133वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अली सरदार जाफ़री साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"रफ़्ता रफ़्ता बन गए इस अहद का अफ़्साना हम "

    2122                     2122                  2122                  212

 फ़ाइलातुन               फ़ाइलातुन            फ़ाइलातुन            फ़ाइलुन

 बह्र:  रमल मुसम्मन महज़ूफ़

रदीफ़ :-  हम
काफिया :- आना( अफ़साना, वीराना, पैमाना, परवाना, याराना, नज़राना, शुकराना, शर्माना, रिंदाना, शाहाना, आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 जुलाई दिन बुधवार  को हो जाएगी और दिनांक 29 जुलाई दिन गुरुवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 जुलाई दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7577

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सहृदय शुक्रिया आ rozina जी हौसला अफ़ज़ाई के लिये आभार

आदरणीय आज़ी तमाम जी नमस्कार। तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें ।सर् के द्वारा बताए गए सुधारों से ग़ज़ल बेहतरीन हो जाएगी।

शुक्रिया आ रचना जी हौसला अफ़ज़ाई के लिये आभार

शुक्रिया आ हौसला अफ़ज़ाई के लिये

भाई  Aazi Tamaam  जी
आदाब
तरही मिसरे पर ग़ज़ल का उम्दः प्रयास किया है आपने ,बधाईयाँ

दिल में झांका रब को देखा तो लगे शाहाना हम
जां तो ठहरी झूठी रखते ,रब से अब याराना हम

जां छिड़कती थी वो हमपे हम भी तो सौदाई थे
थे कभी मशहूर दोनों शम्मा वो परवाना हम

इक सियासत पर था गुस्सा दूजे थोड़े सादे थे
रफ़्ता-रफ़्ता बन गए इस अहद का अफ़साना हम

हंस के मीठे बोल दो बोले नज़र में बस गए
दिल दे बैठे जां गवाई लाए फिर नज़राना हम

वो सुराहीदार गर्दन औ नज़र में शोखियाँ
इक नज़र जी भर के देखा फिर बने पैमाना हम

उम्र तो गुजरी है लेकिन सीख कुछ पाए नहीं
दिल से बच्चे हैं अभी तक मन से हैं मस्ताना हम

जां थे महफ़िल की जो "तन्हा" छुप के अब तो रोते हैं
दर्दे दिल ने जब जलाया फिर बने वीराना हम

मुनीश"तन्हा" नादौन
मौलिक व अप्रकाशित

आ. भाई दण्डपाणि जी, सादर अभिवादन ।गजल का प्रयास अच्छा प्रयास अच्छा है । लेकिन मेरी तरह आपके भी 2,3 शेर की का काफिया गलत है । देखिएगा। शेष अच्छे शेर हुए हैं। हार्दिक बधाई ।

//2रे शैर के सानी को अगर इस तरह पढ़ा जाय "इश्क़ में करते रहे जो हरकतें शाहाना हम " तो क्या यह शैर सहीह होगा कृपया राय दें

3रा शैर मुझे ठीक लग रहा है "बैआना " अलिफ़ की कवाफ़ी तो नहीं गुणीजन इस पर कृपा करके राय देवें//

जनाब दण्डपाणि नाहक़ जी शाहान: हरकतें नहीं अंदाज़ हुआ करते हैं हरकतें बचकाना के साथ ही ज़ेब देती हैं, दूसरी बात बैआना अलिफ़ क़वाफ़ी नहीं बल्कि हे ख़फ़ी है, जोकि इस ग़ज़ल के क़वाफ़ी के मुताबिक़ दुरुस्त है।  सादर। 

'इश्क़ में करते रहे जो हरकतें शाहाना हम'

इस मिसरे पर जनाब अमीरुद्दीन जी से सहमत हूँ ।

//3रा शैर मुझे ठीक लग रहा है "बैआना " अलिफ़ की कवाफ़ी तो नहीं//

"बैआन:" क़ाफ़िया दुरुस्त है ।

आदरणीय नाहक़ जी , नमस्कार

अच्छी ग़ज़ल कही, बधाई स्वीकार कीजिए।

लक्षण जी की बात से सहमत हूँ।

सादर।

जनाब दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। ग़ज़ल के कुल छह शे'र जिनमें तीन मतले हैं और मक़्ता नहीं है, इस मुशायरे की अनूठी ग़ज़ल है। क़वाइद के मुताबिक़ इस ग़ज़ल में क्या दो से ज़्यादा मतले जाइज़ हैं  इस पर जनाब समर कबीर साहिब की क़ीमती राय का इंतज़ार रहेगा।

'इश्क़ में करते रहे जो हरकतें बचकाना हम' इस मिसरे में (उर्दू) व्याकरण अनुसार 'बचकाना' क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं है जिस पर समर कबीर साहिब ने लक्ष्मण धामी जी की ग़ज़ल पर जानकारी दी है, देखियेेगा। 

//क़वाइद के मुताबिक़ इस ग़ज़ल में क्या दो से ज़्यादा मतले जाइज़ हैं//

जी तीन मतले ग़ज़ल में रखना कोई ऐब की बात नहीं है ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service