For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 122वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब  इकबाल  साजिद साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"बचपन का दौर फिर से जवानी में आएगा "

221     2121      1221          212

मफ़ऊलु        फाईलातु        मफ़ाईलु       फ़ाइलुन

(बह्र:  मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ  )

रदीफ़ :- में आयेगा।
काफिया :- आनी( कहानी, निशानी, रवानी, पानी, सानी  आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 अगस्त दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 29 अगस्त  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 11419

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब अजय गुप्ता जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

'ऊंचे से ऊँचा बंध भी पानी में आएगा 

दरिया जो उठ के अपनी रवानी में आएगा'

मतले के ऊला पर 'अमीर' जी की बात का संज्ञान आप ले चुके हैं, लेकिन सानी मिसरे में 'दरया जो उठ के' वाक्य विन्यास उचित नहीं है,इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-

'दरया अगर ये अपनी रवानी में आएगा'

'मंज़र जो हमको सुब्हे-बनारस में था दिखा'

ये मिसरा बह्र में है,लेकिन इसे आपने देवनागरी लिपि के अनुसार नहीं लिखा है, देवनागरी में इज़ाफ़त को 'ऐ' की मात्रा के साथ नहीं बल्कि यूँ लिखते हैं:-

'मंज़र जो हमको सुब्ह-ए-बनारस में था दिखा'

'क्या इश्क़ उसका ज़ह्र-खुरानी में आएगा'

इस मिसरे में सहीह शब्द "ज़ह्र ख़ूरानी"

21222 देखियेगा ।

'दर पर ख़ुदा के पहुंचा जो परवाह उसे है क्या?

क्या लेने वो जहान-ए-फ़ानी में आएगा'

इस शैर के ऊला में 'परवाह' को "परवा" लिखें,वज़्न गड़बड़ा रहा है, और सानी का शिल्प कमज़ोर है,उसे यूँ कहें:-

'फिर क्या वो लेने दुनिया-ए-फ़ानी में आएगा'

'क्या लुत्फ़ भला लुत्फ़े-ज़बानी में आएगा'

ये मिसरा बह्र में नहीं,और क़ाफ़िया भी काम नहीं कर रहा है,देखियेगा ।

 

आदरणीय समर साहब आप की इतनी विस्तृत समीक्षा पढ़कर हौसला बढ़ जाता है और मन को आपका ये कमियाँ बताना बहुत भाता है। आप के और अन्य सभी साथियों के हर सुझाव के लिए कलम प्रतीक्षारत रहती है।

सदा आशीर्वाद बनाये रखियेगा।

आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

आद0 अजय गुप्ता जी सादर अभिवादन। तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने। शेष गुणीजनों ने कह दिया है। सादर

आदरणीय अजय गुप्ता जी अच्छी ग़ज़ल हुयी  गुनिजनों ने सार्थक एवं उपयोगी इस्लाह की बहुत मुबारकबाद 

जैसे ही मोड़ दिल की कहानी में आयेगा
तूफ़ान आँसुओं की रवानी में आयेगा

बह जाएंगे फ़रेब की माटी के सब मकां
ऐसा उफ़ान दरिया के पानी में आएगा

लिखना तू ज़िंदगी की ग़ज़ल सोचकर बशर
तेरा ही नाम मक्ते के सानी में आयेगा

गहरा है कितना है जख़्म ये दुश्मन के वार का
इसका जवाब उसकी निशानी में आएगा

इक बार दोस्तों से अना को भुला के मिल
बचपन का दौर फिर से जवानी में आयेगा

मतलब निकलने दें ज़रा फिर देखिए जनाब
बदलाव उनकी शीरीं बयानी में आयेगा

मौलिक एवम अप्रकाशित

आदरणीया रचना कुमारी जी आदाब, तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल कही है आपने दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

"तूफ़ान आँसुओं की रवानी में आयेगा"                यहांँ 'तूफ़ान' की जगह 'सैलाब' ज़्यादा मौज़ूँ है देखियेगा। 

"गहरा है कितना है जख़्म ये दुश्मन के वार का"    यहांँ पर टंकण त्रुटि के कारण बाद वाला "है" ग़लत टंकित हो गया है।  सादर। 

मोहतरम अमीरुद्दीन साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया टंकण त्रुटि मूल पोस्ट में सुधार ली है।सैलाब शब्द सही सुझाया आपने।इस ग़ज़ल में पोस्ट करते वक्त एक शेर भी छूट गया था।उसे अभी एड भी नहीं कर सकती यहाँ पोस्ट कर रही हूँ

बेशक़ ज़ुबान से न कहें आप कुछ मगर
दिल का गुबार अश्क़-फिशानी में आयेगा

बहुत ख़ूब शे'र शानदार। ग़ुबार और फ़िशानी में नुक़्ता लगा लें। 

आदरणीया राजेश कुमारी जी टिप्पणी करते समय भूलवश आपका नाम ग़लत टंकित हो गया था जिस के लिए माज़रत ख़्वाह हूँ। सादर। 

आदरणीया राजेश कुमारी जी.
सादर अभिवादन
बहुत उम्दा तरही ग़ज़ल के लिए दाद और मुबारकबाद क़ुबूल करें. सादर.

आपका तहे दिल से शुक्रिया।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
yesterday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service