For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-11 (विषय: साथी)

आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
सादर वन्दे।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 11 वें अंक में आपका स्वागत हैI "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले दस  आयोजन बेहद सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया कई नए रचनाकारों की आमद ने आयोजन को चार चाँद लगाये I इस आयोजनों में न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुईI  गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए, जिससे कि यह गोष्ठियाँ एक वर्कशॉप का रूप धारण कर गईं। इन आयोजनों के विषय आसान नहीं थे, किन्तु हमारे रचनाकारों ने बड़ी संख्या में स्तरीय लघुकथाएं प्रस्तुत कर यह सिद्ध कर दिया कि ओबीओ लघुकथा स्कूल दिन प्रतिदिन तरक्की की नई मंजिलें छू रहा  हैI यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह सभी आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं। तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-11 
विषय : "साथी"
अवधि : 28-02-2016 से 29-02-2016
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 28 फरवरी दिन रविवार से 29 फरवरी 2016 दिन सोमवार की समाप्ति तक)
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  28 फरवरी दिन रविवार  लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२. सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
११. रचना/टिप्पणी सही थ्रेड में (रचना मेन थ्रेड में और टिप्पणी रचना के नीचे) ही पोस्ट करें, गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी बिना किसी सूचना के हटा दी जाएगी I
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 21761

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत बहुत बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,विषय को सार्थक करती इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें !

अच्छी लघु कथा आ० मोहन बेगोवाल जी बधाई स्वीकारें 

बढ़िया कथा आदरणीय मोहन बेगोवेल जी ।इक कस सही शब्द एक होगा।

 सभी दोस्तों का मेरी लघुकथा को  पसंद करन व अपनी राए देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

उत्कृष्ट प्रस्तुति आदरणीय मोहन जी, सर| इस  रचना के सृजन  हेतु हार्दिक बधाई| सादर

(साथी विषयाधारित)

 

पल – छिन

 

गोरा रंग ,मोटी, बड़ी-बड़ी गहरी आँखे और चौड़ा चमकदार माथा। बस अंतर एक ही था उसके सपनों के राजकुमार की तरह उस लडके के मूँछे नही थी। मेज़ पर चाय-नाश्ते की ट्रे रखते हुए कुछ सोचते हुए, लड़की मन ही मन मुस्कुरा उठी। लड़का अपनें माता-पिता के साथ उसे देखने आया था।

“यह हमारी बेटी है ।" लड़के से परिचय कराते हुए माँ ने आँखों से इशारा किया तो लड़की ने चाय और नमकीन की प्लेट लड़के के सामनें कर दी । लड़का पहले थोड़ा झिझका ,फ़िर उसने प्लेट से नमकीन के कुछ दानें उठा लिए।

“लो बेटा थोड़ी और नमकीन लो..।' कहते हुए चौधराईन ने प्लेट में से कई चम्मच नमकीन जबरदस्ती लड़के के हाथ में रख दी। लड़की कनखियों से लड़के की तरफ़ देख रही थी तभी लडके ने उसकी तरफ देखा | नजरें मिलते ही लड़की ने सकपका कर नजरें फिर नीची कर लीं

"देखिए हमारा लड़का थोडा आधुनिक ख्यालों का है । अगर आप लोग इजाज़त दे तो यह आपकी बेटी से अकेले में बात करना चाहता है।" लड़के की माँ जरा झिझकते हुए बोली। चौधरी जी कुछ बोलते इससे पहले ही चौधराईन बोल पड़ी "हां हां क्यों नही ।"

माँ का इशारा पा लड़की, लड़के के साथ-साथ बगीचे में चली आई।

"हैलो .." लड़के नें पहल की। नजरें झुकाये हुए लड़की ने सिर हिला कर लड़के के अभिवादन का प्रत्युत्तर दिया। “ये मौसम मुझे बहुत अच्छा लगता है । और ..आपको..? लड़के ने बात बढ़ानें की कोशिश की। लड़की हाँ में सर हिलाते हुए हौले से मुस्कुरा दी।

“न जाने लोग शादी जैसा बड़ा डिसीज़न इतनी जल्दी कैसे ले लेते है ? भला चंद लम्हों की मुलाक़ात में कोई किसी को जीवन भर का साथी कैसे बना सकता है ?" लड़का अपनी हथेली में ली हुई नमकीन में से कुछ दाने हवा में उछालते हुए सर झटकते हुए बोला। लड़की अब भी लड़के के पीछे-पीछे ही चल रही थी।

"आप को कुछ नही कहना इस विषय में.. " लड़का अचानक ठहर कर ,पलटते हुए लड़की से बोला।

लड़की नें अपनी मुट्ठी हौले से खोल कर, लड़के के सामने कर दी।

"अरे इसकी क्या जरूरत थी?" लड़का,लड़की की हथेली से नमकीन उठाते हुए बोला तो लड़की, जवाब में फ़िर मुस्कुरा दी ।

“पर इसमें पड़े, मूँगफली के दाने कहाँ गये..?" लड़का नमकीन चबुलाते हुए बोला ।

“आपको तो मूँगफली पसन्द ही नही है न..?” लड़की, पहली बार लड़के कि आँखों में झांकते हुए बोली थी।

"आपको कैसे पता चला कि मुझे मूँगफली पसन्द नहीं है।" लड़का चौंकते हुए बोल उठा।

"साथी को समझने के लिए कुछ पल भी काफ़ी होते हैं।" लड़की ने लड़के द्वारा चुन कर, ज़मीन पर फेंके गए मूंगफली के दानों की ओर इशारा किया और लडके की आँखों में झांकते हुए एक बार फ़िर, मुस्कुरा उठी।

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

काश ऐसी नजर सब के पास हो ।सुन्दर कथा , बहुत बहुत बधाई आदरणीय ।

वाह अनुज वाह । कमाल की लघुकथा बनी है । विषय को किस कौशलता से सार्थक किया है आपने । पढ़ते समय आकारगत सीमा का अतिक्रमण  करती नजर आई परन्‍तु अंत तक आते आते महसूस हो गया कि कथा में कोई भी शब्‍द अनावश्‍यक नहीं है । आपको दिली शुभकामनाएं ।

आदरणीय रवि जी बिलकुल सही फरमा रहे हैं। अंत तक पहुँच कर विषयांतर्गत सार्थक सप्रवाह रचना सम्पूर्ण कथ्य सम्प्रेषित करती है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुधीर द्विवेदी जी।
लड़की के सेन्स ऑफ़ ह्यूमर की दाद देनी होगी । सुंदर सकारत्मक सृजन सुधीर जी हार्दिक बधाई ।

बहुत ही सुंदर " पल छिन", समझदार लड़की .उसकी सोच और गहरी पारखी नज़रें उसे एक बेहतरीन जीवन साथी बनाएगी भविष्य में .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
26 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service