Tags:
Replies are closed for this discussion.
आपका हार्दिक आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी
वाह वाह!! आपकी लेखन प्रतिभा इस लघुकथा के माध्यम से और भी उभर कर सामने आई है आ० प्रतिभा पाण्डेय जीI सियार का प्रतीक बेहद सटीक बना हैI लघुकथा बेहद पसंद आई, जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित हैI
आपको मेरा ये प्रयास पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ उत्साहवर्धन करती हुई टिपण्णी व् सराहना के लिए आपकी तहे दिल से आभारी हूँ आदरणीय योगराज प्रभाकर जी सादर
अद्भुत लघुकथा.......... प्रतिको का अद्भुत प्रयोग....... कथानक जहाँ से आपने उठाया है देखकर मुग्ध हूँ और चमत्कृत भी. आपके भीतर बैठी लेखिका की कल्पनाशक्ति और क्षमता देखकर दंग हूँ. आपने मुग्ध कर दिया. कायल तो है ही आपकी कलम के. ऐसी रचनाएँ लिखी नहीं जाती, बस हो जाती है. आपको दिल से बधाई और ढेर सारी दुआएं.
आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ आदरणीय मिथिलेश जी ,आपकी स्नेहिल टिप्पणियों व् दुआओं के लिए आपका तहे दिल से आभार
आदरणीय प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियां सदैव मुग्धकारी हुआ करती है. आपके अनुमोदन से आश्वस्त हुआ. हार्दिक आभार
गजब की रचना कही है आदरणीय प्रतिभा पाण्डे जी, कसा हुआ शिल्प, शानदार पंचलाइन के साथ रंगे सियार को जिस तरह आपने परिभाषित किया है, वो अतुलनीय है| सादर बधाई स्वीकार करें|
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पांडे जी !बेहतरीन प्रस्तुति!आज के नेताओं ने तो सियार को भी शर्मिंदा कर दिया!
रचना पर सकारात्मक टिपण्णी देकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर जी
“सबसे पक्का रंग “
.
हिना एक पल के लिए तो सन्न हुई , मगर अगले ही पल उसने पलट कर बंद किवाड़ों पर जोर से लात दे मारी । जर्जर किवाड़ बुरी तरह चरमराए और भड़ाक से खुल गए। वह बेसब्री से इंतजार कर रही है कि कब कोई बाहर निकले, और कब वह उसे कस कर एक झापड़ रसीद कर दे। कोई नहीं आया तो हिना ने भीतर झाँका। आँगन में सात-आठ साल का एक बालक खडा था । बुरी तरह डरा-सहमा और दोनों हाथों को कमर के पीछे ले जाकर पिचकारी छुपाने का असफल प्रयास करता हुआ।
"दीदी, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो। "
उस मासूम की मुख-मुद्रा देख हिना क्रोध थोड़ा कम हुआ। अब वह बस इतना ही कह पाई:
"तुमने मेरे सफ़ेद दुपट्टे का सत्यानाश कर दिया, छोटू। तू क्या जाने मैं इंटरव्यू देने जा रही थी। अब इतना समय भी नहीं कि घर लौट कर …. "
तभी कमरे से एक युवक प्रकट हुआ और बालक को डांटने लगा:
"तुमसे कहा था न कि होली कल है , एक दिन भी सब्र नहीं हुआ, नालायक ?"
"बच्चा है, जाने दीजिए। " हिना ने अपने सफ़ेद दुपट्टे पर पिचकारी से बने लाल रंग के धब्बे को झाड़ते हुए कहा था " दिक्कत बस इतनी है … "
"घबराइए मत,मैंने सब सुन लिया " युवक मुस्कुराया था " सिर्फ दो मिनट के लिए दुपट्टा देंगी आप ?"
कोई और अवसर होता तो लाज से मर ही जाती,हिना । मगर उस युवक में जाने न जाने कैसा तो सम्मोहन था कि हिना ने अपना दुपट्टा उतार उस अनजान को सौंप दिया और उसके पीछे-पीछे आँगन में चली आई। युवक ने नल खोला और साबुन से दुपट्टे को धोने लगा। हिना उसे देख-देख मुस्कुराती रही। पहली नज़र में प्यार जैसी बातों का मजाक उड़ाने वाली हिना जाने किस दुनिया में खोई थी। ज्यों-ज्यों दुपट्टे से रंग उतरता जा रहा था, त्यों-त्यों कोई रंग हिना के दिल पर चढ़ता जा रहा था। युवक ने दुपट्टे को चार बार फटकारा और लड़के से बोला " मेरे कमरे में मेज पर प्रेस रखी है , लाना तो ज़रा। "
"अभी लाया ,भुवन भईया " कहता हुआ बालक भीतर की ओर भागा। युवक का नाम सुन कर झटका सा लगा , हिना को।
इधर धूप से बदरंग मेज पर हल्का गीला दुपट्टा प्रेस हो रहा था , उधर हिना सर झुकाए पाँव के अंगूठे से कच्चे आँगन की जमीन कुरेदे जा रही थी। उसकी तन्द्रा तो तब टूटी जब उसे दुपट्टा सौंपते हुए भुवन मुस्कुराया था " यह लीजिए , बिलकुल पहले सा हो गया। शुक्र है, रंग पक्का नहीं था। "
हिना मुस्कुराई थी " पक्के रंग बाज़ार में नहीं बिकते , शीश कटाने से मिलते हैं। बाई द वे,मेरा नाम हिना है। "
नाम सुनकर भुवन के चेहरे पर कई रंग आए और गए। हिना ने उसे कनखियों से देखा और एक झटके से बाहर निकल गई।
जानती है , वह शाम को इसी गली से वापिस लौटेगी तो भुवन दरवाजे पर खड़ा मिलेगा , इंतजार करता हुआ। नहीं मिला तो समझ लेगी यह रंग भी छोटू की पिचकारी से निकले रंग जैसा बहुत ही फीका था, जो मज़हब के सामने टिक नहीं पाया। ।
(मौलिक और अप्रकाशित)
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |