साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....
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आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब, सादर अभिवादन। बहुत खूब अशआर हुए हैं। मेरी ओर से दिली दाद और शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
राज़-ए-उलफ़त बता गया है मुझे
कितना आसाँ बना गया है मुझे
इस कहानी में तुम मिलोगे कहीं
सिर्फ इतना कहा गया है मुझे
लुत्फ़-ए-सोज़-ए-जिगर की ख्वाहिश में
देख, कितना जला गया है मुझे?
मसअला ये नहीं कि मैं गुम था
मसअला ये कि पा गया है मुझे
मुझको बेदख़्ल करके मुझसे ही
अपनी धुन में लगा गया है मुझे
इश्क में सिर्फ इश्क होता है
बात इतनी बता गया है मुझे
कल छुड़ाई थी उसने दे के कसम
आज फिर से पिला गया है मुझे
तेरी बेताबियों की सुहबत में
“सब्र करना तो आ गया है मुझे”
दिन ब दिन मैं रहा सवालों में
और वो जांचता गया है मुझे
मौलिक एवं अप्रकाशित
राणा प्रताप जी अच्छी ग़ज़ल हुई है।
मुबारक स्वीकार करें।
जनाब अजय गुप्ता जी,इस मंच पर छोटा हो या बड़ा,आदरणीय,मुहतरम,या जनाब के साथ सम्बोधित करने की परिपाटी है, कृपया ध्यान दें ।
आदरणीय अजय गुप्ता जी ..ग़ज़ल पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद
सभी बेहतरीन अशआर ख़ासतौर पर 3-5-6-7-9 के साथ बेहतरीन ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार मुहतरम जनाब राणा प्रताप सिंह साहिब।
जनाब शेख शहजाद उस्मानी साहेब , ग़ज़ल पर अपनी कीमती राय ज़ाहिर करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया
जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'
बेदख़ल करके मुझको मुझसे ही
अपनी धुन में लगा गया है मुझे'
इस शैर के ऊला मिसरे में 'बेदख़ल' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "बेदख़्ल",मिसरा यूँ कर सकते हैं:-
'मुझको बेदख़्लल करके मुझसे ही'
आदरणीय समर साहब .आपने ग़ज़ल पसंद की मेरा कहना सार्थक हुआ ...बेदख्ल वाली गलती मैंने आपके कहे के अनुसार ही दुरुस्त कर ली है..करम बनाये रखें|
वाह वाह वाह
एक एक शेर तराशा हुआ बहुत खूब आदरणीय राणा प्रताप भाई शेर दर शेर दाद कबूल करें
जनाब अमित साहब .नवाजिशों के लिए शुर्किया
आद० राणा प्रताप जी मुशाइरे में आपकी ग़ज़ल देखकर बहुत ख़ुशी हुई .बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद कुबूलें
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