For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 26207

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आद० लक्ष्मण भैया इस सद प्रयास पर दिल से बधाई लीजिये जहाँ गुणीजनों ने इंगित किया निसंदेह आप दुरुस्त कर लेंगे किन्तु आपकी ये कोशिश सराहनीय है दिल से मुबारकबाद 

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । स्नेह और सुझाव के लिए आभार ।

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,आपका प्रयास सराहनीय है,इसके लिए बधाई स्वीकार करें ।

ओ बी ओ पर जमा गया है मुझे
पक्का शायर बना गया है मुझे।१।--अच्छा है ।


नभ  में  तारा  सा  उभार गया
बुलबुला कब कहा गया है मुझे।२।--इस शैर का ऊला यूँ कर लें:-

'नभ का तारा हूँ मैं तो ऐ भाई

बुलबुला क्यों कहा गया है मुझे'


क्या तुझे दी समर ने सीख न पूछ
सब्र करना  तो  आ  गया  है मुझे ।३।--इस शैर का ऊला यूँ करें:-

'क्या 'समर'ने तुझे दी सीख नई'

आईना तो  नहीं  हुआ  हूँ मगर
नस्ब फिर भी करा गया है मुझे।४।--इस शैर के सानी मिसरे में 'करा' की जगह 'किया' कर लें ।


लाख कोशिश उसी ने की है तभी
इल्म थोड़ा सा  आ  गया  है मुझे।५।--इस शैर का ऊला यूँ करें:-सानी में 'तो' की जगह "सा" करें ।

'लाई क़िस्मत जो तेरे दर पर तो'


नब्ज  मेरी  उसी के हाथ रही
तरबियत दे बचा गया है मुझे।६।--इस शैर का सानी यूँ करें:-

'तख़्त पर जो बिठा गया है मुझे'


रस्म हर इक निभा रहा हूँ यहाँ
हीन  थोड़े  कहा  गया  है मुझे।७।--इस शैर का सानी यूँ करें:-

'हीन फिर भी कहा गया है मुझे'

मुक्त मन से पढ़ा सबक वो सभी
शायरी नित सिखा गया है मुझे।८।--इस शैर का ऊला यूँ करें:-

'मुक्त मन से पढ़ा गया वो सबक़'


यत्न कर यश मिलेगा खूब कभी
राज  ये  भी  बता  गया  है मुझे।९।--इस शैर को यूँ करें:-

यत्न कर यश मिलेगा ख़ूब तुझे

राज़ ये वो बता गया है मुझे'

शख्सियत क्यों न उनके जैसी करूँ
ताज  उनका  जो भा  गया  है  मुझे।१०।--इस शैर का ऊला यूँ करें:-

'शख़्सियत उनके जैसी करना है'


ब्याज से बढ़ असल है यार जहाँ
दीन  रख  ये  बता  गया  है मुझे।११।--इस शैर को यूँ करें:-

'ब्याज से बढ के अस्ल होता है

दीन कोई बता गया है मुझे'

           और ये दुमछल्ले

सबसे परिवार में दुलार मिला
मान इतना दिला गया है मुझे ।१२।--इस शैर का ऊला यूँ करें:-और सानी में 'दिला' की जगह "दिया"करें

'सबका अहसान मंद हूँ भाई'


रोज  मैं-मैं  की  रट  से दूर हुआ
हमपे अब नाज आ गया है मुझे।१३।--इस शैर को यूँ करें:-

'रोज़ का ख़त्म हो गया झगड़ा

हर कोई आज पा गया है मुझे'

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद । आपने बेशकीमती सुधार सुझाकर मार्ग प्रशस्त कर दिया है । इसके लिए आभारी हूँ । आपके सुझाव तक पहुँचने से पूर्व गुणींजनों की टिप्पणीयाँ पढ़ कुछ बदलाव का प्रयास किया था । इसपर भी आपका मशविरा चाहूँगा ... सादर

ओज अपना थमा  गया है मुझे
पल में  तारा  बना  गया है मुझे।१।
नत रहूँ क्यों बुतों के आगे फिर
बुतपरस्ती  भुला  गया है मुझे।२।
क्या कहूँ और गम की सुहबत में
सब्र  करना  तो आ  गया है मुझे ।३।
आज  धोका  दुबारा  देकर  यूँ
नस्ल अपनी दिखा गया है मुझे।४।
लाज  अपनी  अपने  हाथों  है
इल्म इतना तो आ गया है मुझे।५।
नम हैं आँखे  खुशी  के मारे यूँ
तख्त पर जो बिठा गया है मुझे।६।
रस्म हर इक निभाई  मैं ने जब
हीन क्योंकर कहा गया है मुझे।७।
यत्न तकदीर  को झुका देगा
राय अच्छी जता गया है मुझे।९।
रोज   देकर   सहारा   पीछे   से
हक में लड़ना सिखा गया है मुझे।१३।

लक्ष्मण भाई,अभी और समय चाहती है ग़ज़ल,विस्तृत टिप्पणी का समय नहीं है ।

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आदरणीय समर कबीर सर की विस्तृत टिप्पणी के बाद मुझे नहीं लगता कि कुछ कहना शेष रह गया है। इस अच्छी ग़ज़ल और इस, "ओपन बुक्स ऑन लाइन तरही मुशायरा शताब्दी समारोह", उम्दा व सार्थक प्रयास की दिल से बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

आ. भाई महेंद्र जी, स्नेभिब्यक्ति के लिए आभार ।

आदरणीय लक्ष्मण जी, इस सदप्रयास के लिए हार्दिक बधाई

आ. भाई अजय जी, हार्दिक धन्यवाद ।

आ० भाई लक्ष्मण धामी जी, यह ग़ज़ल आपके क़द से मेल नहीं खा रही है. आगे आप ख़ुद ही समझदार है. बहरहाल इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक अभिनन्दन स्वीकार करें. 

ओ प न बु क् स आ न ला इ न त र ही मु शा य रा श ता ब् दी स मा रो ह 

वाह वाह 

आपको भी मुबारक़बाद 

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब आपके इस सद्प्रयास को नमन करता हूँ, मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं|

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service