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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय हाफिज मसूद साहब| हार्दिक बधाई आपको|

आदरणीय हाफ़िज़ साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई

हाफिज़ मसूद साहिब भी "दागो और भागो" रेजिमेंट से ही लगते हैं. :))

जाम- ए- उल्फ़त पिला गया है मुझे!

कोई जीना सिखा गया है मुझे!!

लम्स में उसके कोई जादू था!

मिस्ल- ए- पत्थर बना गया है मुझे!!

छेड़ कर दास्ताँ महब्बत की!

कोई फिर से रुला गया है मुझे!!

चाहता है वो मेरी रुस्वाई!

मेरे क़द से बढ़ा गया है मुझे!!

पुर सुकूँ था लहद में सोया हुआ!

कौन आकर जगा गया है मुझे!!

मेरी फ़ितरत से वो शनासा था!

मुस्कुरा के लुभा गया है मुझे!!

बात सच ही तो कह रहे हैं 'समर'

सब्र करना तो आ गया है मुझे!!

         मौलिक/अप्रकाशित

पते की बात/दो टूक बात कहती बेहतरीन ग़ज़ल। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब अफ़रोज़ 'सह्र' साहिब।

जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब

आपकी सुख़न नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया,,,,,,

बहुत ख़ूब बेहतरीन ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई

सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया जनाब,

आदरणीय शहजाद भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई शेर दर शेर दाद कबूल कीजिए

आपने टिप्पणी गलत थ्रेड में दे दी है,,,

जनाब अफ़रोज़ 'सहर' साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

ज़र्रा नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया मुहतरम,

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