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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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 आदरनीय नमन जी, बहुत सुंदर ग़ज़ल की बधाई हो 

आ0 मोहन बेगोवालजी ग़ज़ल को आपका आशीर्वाद मिला , हृदय से आभार।

जनाब बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ।

मक़्ते के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।

आ0 समर सर आपकी इस्लाह का संज्ञान लेते हुए आपका तहे दिल से शुक्रिया।

आद० बासुदेव जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई 

आ0 राजेश कुमारी जी हृदय की गहराइयों से आपका आभार।

आदरणीय बासुदेव अग्रवाल जी बहुत सुंदर गजल काबिलेतारीफ गजल लिखने के लिए हार्दिक बधाई

आ0 छोटे लाल जी आपका बहुत बहुत आभार।

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। कृपया आदरणीय समर सर की बातों का संज्ञान लें। सादर।

आ0 महेंद्र कुमारजी बहुत बहुत आभार।

आदरणीय बासुदेव नमनजी, आपकी इस ग़ज़ल के अश’आर प्रभावी बन पडे हैं. ग़िरह भी क्या ख़ूब लगी है. 

दिल से दाद क़बूल कीजिए. 

आ0 सौरभ सर आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ। हृदय से आभार।

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