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बहुत खूब भाई वीर मेहता जी, बढ़िया लघुकथा हुई हैI हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
बेहद भावपूर्ण और मन को भिगोने वाली रचना विषय पर, पंच लाइन ने तो मन द्रवित कर दिया| आज के समय में बुजुर्गों की स्थिति को बहुत बढ़िया तरीके से शब्द दिए हैं आपने, बहुत बहुत बधाई इस शानदार रचना के लिए
सुन्दर कथानाक लिये मार्मिक रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें इस रचना पर आदरणीय वीरेन्द्र जी
जनाब वीरेंदर मेहता साहिब , अच्छी लघु कथा हुई है ..... मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
वीर मेहता जी। बहुत -बहुत बधाई आपको। जीवन संध्या में साथी की जरुरत सबसे अधिक होती है। पंक्तियों को पढ़ते ही बिछोह का डर मन को कमजोर सा कर गया। बहुत ही मार्मिक लघुकथा हुई है ये आदरणीय
सच कहा वृद्धवस्था में एक के चले जाने के बाद दुसरे की जिन्दगी अभिशाप की तरह हो जाती है किन्तु भाग्य के लिखे को कौन बदल सका है बहुत भावनात्मक लघु कथा हुई आ० वीर मेहता जी दिल से बधाई आपको
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